Diwali Padwa 2021: दीपावली की पांच  महत्वपूर्ण तिथियों में एक है 'दीवाली पाड़वा'! जानें इसका महत्व एवं परंपरा!
दिवाली पड़वा 2021 (Photo Credits: File Image)

हिंदू धर्म के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन सुख, शांति और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी एवं भगवान श्री गणेश की पूजा अनुष्ठान के पश्चात बलि प्रतिपदा को दीपावली पाडवा के रूप में मनाया जाता है. यह त्यौहार भारत के लगभग हर प्रदेशों में विभिन्न रीति रिवाजों के साथ मनाया जाता है, मगर महाराष्ट्र में इसकी धूम कुछ ज्यादा देखी जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष यह पर्व 5 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाएगा. आइये जानें दीपावली महापर्व के इस महत्वपूर्ण दिन को किस तरह सेलिब्रेट किया जाता है.

दीवाली पड़वा का महत्व

दीवाली महोत्सव की श्रृंखला का प्रमुख हिस्सा होने के कारण इस दिन का हिंदू धर्म में खास महत्व बताया गया है. इसलिए इस दिन को महाराष्ट्र के मूल निवासी यानी महाराष्ट्रीयन लोग बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. इस दिन लोग सोना खरीदते हैं, सुहागन स्त्रियाँ पति की आरती उतारती हैं, रात्रि में आतिशबाजियाँ होती हैं. उत्तर भारत में इस दिन लोग गंगा अथवा किसी पवित्र नदी अथवा सरोवर में स्नान करते हैं. ब्राह्मण अथवा गरीबों को दान करते हैं. व्यापारियों के लिए इसे वर्ष की शुरुआत के रूप में देखा जाता है. यह भी पढ़ें : Diwali Padwa 2021 Marathi Wishes: दिवाळी पाडव्याचा शुभेच्छा, अपनों संग शेयर करें ये प्यार भरे मराठी SMS, Greetings, Images और WhatsApp Messages

कैसे मनाते हैं यह पर्व

दीवाली की अगली सुबह-सवेरे स्नान-ध्यान एवं सुर्योपासना के पश्चात नये अथवा स्वच्छ वस्त्र धारण कर पंचरंगी रंगोली से बलि की प्रतिमा बनायें. अब पड़वा की पूरे विधि विधान से पूजा करें. पूजा के दरम्यान मराठीभाषी लोग मराठी भाषा में ‘ राज्य येवो’ इन पंक्तियों का उच्चारण करते हुए भगवान से प्रार्थना करते है.

कृषि संबद्ध पर्व

महाराष्ट्र में अधिकांश पर्व कृषि संस्कृति के इर्द-गिर्द मनाई जाती है, इसे पौराणिक महत्व दिया जाता है, क्योंकि ये पर्व प्रकृति से रिलेटेड होते हैं. यह पर्व हम ऐसे माह यानी कार्तिक मास में मनाते हैं, जब खेतों में नई फसलें बोये जाने की शुरुआत होती है, इसीलिए इस दिन का महत्व हर भारतीय के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है. आखिर भारत एक कृषि प्रधान देश जो है.