Diwali 2022: धनतेरस से भाई दूज तक करें यह विशिष्ठ पूजा! धन-समृद्धि के साथ-साथ मिलेगा मान सम्मान
हिंदू धर्म शास्त्रों में पांच दिवसीय दीपावली महोत्सव का विशेष महत्व वर्णित है. हमेशा की तरह इस वर्ष भी पांच दिवसीय महापर्व की शुरुआत धनतेरस (Dhanteras) से हो रही है, और गोवर्धन पूजा (Gowardhan Puja) के साथ इसका समापन होगा. ज्योतिष शास्त्री पंडित रवींद्र पांडेय के अनुसार दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी के साथ धन के देवता भगवान कुबेर की विशेष उपायों के साथ पूजा-अनुष्ठान करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं
Diwali 2022: हिंदू धर्म शास्त्रों में पांच दिवसीय दीपावली महोत्सव का विशेष महत्व वर्णित है. हमेशा की तरह इस वर्ष भी पांच दिवसीय महापर्व की शुरुआत धनतेरस (Dhanteras) से हो रही है, और गोवर्धन पूजा (Gowardhan Puja) के साथ इसका समापन होगा. ज्योतिष शास्त्री पंडित रवींद्र पांडेय के अनुसार दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी के साथ धन के देवता भगवान कुबेर की विशेष उपायों के साथ पूजा-अनुष्ठान करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, और जातक को सुख-समृद्धि के साथ पूरे वर्ष मान-सम्मान प्रदान करती हैं. यह विशेष पूजा धनतेरस (22 अक्टूबर 2022) से भाई दूज (26 अक्टूबर 2022) तक नियमित रूप से करना चाहिए. आइये जानें धनतेरस से दीपावली तक कैसे करें यह विशेष पूजा. यह भी पढ़ें: Ahoi Ashtami 2022 Wishes: अहोई अष्टमी पर ये विशेज HD Wallpapers और GIF Images के जरिए भेजकर दें शुभकामनाएं
ऐसे करें पूजा
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन धनतेरस की यह विशिष्ठ पूजा होती है. सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर माँ लक्ष्मी एवं भगवान कुबेर का ध्यान करते हुए सच्ची निष्ठा से पूजा का संकल्प लेते हुए मनोवांछित फल की कामना करें. एक छोटी चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर इसे ईशान कोण में रखें. चौकी के सामने पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें. चौकी पर गंगाजल का छिड़काव करें. इस पर माता लक्ष्मी एवं भगवान धन्वंतरी की प्रतिमा अथवा तस्वीर स्थापित करें. इसके साथ ही दक्षिणावर्ती शंख भी रखें. गाय के दूध से बने शुद्ध घी का दीप एवं धूप प्रज्वलित करें. माता लक्ष्मी एवं भगवान धन्वंतरी का ध्यान करते हुए निम्न श्लोक का पठन करते हुए प्रतिमा को लाल रंग का पुष्प अर्पित करें.
ऊं ह्रीं ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृहे स्थिरो ह्रीं ऊं नमः
शंख में गंगाजल के साथ शुद्ध जल भरे. अब पूजा स्थल पर केसर से स्वास्तिक बनाएं. इस पर रोली या सिंदूर से टीका करें. पान, सुपारी, कमल का पुष्प, बतासा, मिठाई, फल अर्पित करें और स्फटिक की माला फेरते हुए निम्न मंत्र का 108 जाप करें.
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
लक्ष्मी जी की आरती करने के बाद प्रसाद लोगों को वितरित कर दें.
पूजा की यही प्रक्रिया लगभग एक ही समय पर भाई दूज तक नियमित रूप से करें. पूजा सम्पन्न होने के पश्चात ही अन्न ग्रहण करें.
भाई दूज के दिन पूजा सम्पन्न होने के पश्चात पूजा-अनुष्ठान में जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए छमा याचना करना ना भूलें. अब शंख में रखे जल को किसी फूल की सहायता से घर के प्रत्येक स्थलों एवं घर के सदस्यों पर छिड़कें. कोशिश करें कि इस जल का छिड़काव अपने कार्यालय अथवा फैक्ट्री में भी कर दें. अब शंख को चौकी पर बिछे लाल वस्त्र में बांध कर घर के सुरक्षित स्थान पर रख दें. कोशिश करें कि पूरे साल तक इसे बिना स्नान किये न छुएं.