भारत में प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य बच्चों की सराहना, उनके उज्जवल भविष्य और अच्छी सेहत हेतु हर पल सजग रहना है, क्योंकि आज के बच्चे ही कल के ‘भारत का भविष्य’ हैं. वस्तुतः इस दिन आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था. नेहरू को बच्चों से असीम प्यार था, इसलिए उनके जन्मदिन को विशेष बनाने, और नेहरू की बच्चों के प्रति भावनाओं के सम्मान देने हेतु उनके जन्मदिन को बच्चों को समर्पित करते हुए भारत सरकार ने इस दिन बाल-दिवस मनाने की घोषणा की. आइये जानते हैं इस दिवस विशेष के महत्व, इतिहास एवं नेहरू की बच्चों के प्रति अनुराग के रोचक संस्मरण
बाल दिवस का महत्व
पंडित जवाहरलाल नेहरू का मानना था कि बच्चे राष्ट्र की सच्ची संपत्ति हैं. नेहरू सदा उन्हें देश के ‘सबसे कीमती संसाधन’ के रूप में बताते और समझते थे. उन्होंने बच्चों के सुखद भविष्य के लिए तमाम विकासशील योजनाओं को क्रियान्वित किया. बच्चों के प्रति उनके प्रेम के कारण ही जवाहरलाल नेहरू को बच्चों के बीच 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है इसलिए अपने युवा होते भारतीयों के जीवन की सुरक्षा और संरक्षा के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता की पुष्टि के लिए पूर्व प्रधानमंत्री के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह भी पढ़ें:Tulsi Vivah 2024 Messages: हैप्पी तुलसी विवाह! प्रियजनों संग शेयर करें ये हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, GIF Greetings और Photo SMS
बाल दिवस का इतिहास
प्रारंभ में अन्य देशों की तरह भारत में भी राष्ट्र संघ द्वारा घोषित विश्व बाल दिवस 20 नवंबर को ही मनाया जाता था लेकिन, साल 1964 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद, संसद में उनके जन्म दिन को देश में आधिकारिक बाल दिवस के रूप में स्थापित करने का प्रस्ताव जारी किया गया, जिसे सर्व सम्मत के साथ पास किया गया. इसके बाद से ही प्रधानमंत्री नेहरू की जयंती 14 नवंबर के दिन देश भर में बाल दिवस मनाया जा रहा है.
नेहरू जयंती पर ही क्यों मनाया जाता है बाल दिवस
बच्चों के प्रति पंडित नेहरू का असीम स्नेह था. बच्चे उन्हें ‘चाचा नेहरू’ के नाम से पुकारते थे. पंडित नेहरू ना केवल बच्चों से बेहद प्यार करते थे, बल्कि बच्चों के उचित विकास के लिए उचित संसाधन उपलब्ध कराने की कोशिश भी करते थे. वह सदा देश में बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को सुचारु और व्यवस्थित रखना चाहते थे. इसी बात को ध्यान में रखते हुए नेहरू ने भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (Indian Institute of Technology) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) सहित देश के कुछ प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों की भी स्थापना की. पंडित नेहरू स्वस्थ और शिक्षित बच्चों को ही देश के भविष्य नींव मानते थे.
पंडित नेहरू का बाल-अनुराग
पंडित नेहरू को बच्चों के प्रति बहुत लगाव और स्नेह था. उन्हें बच्चों के बीच खेलना अच्छा लगता था. बच्चों के प्रति उनके मन में कुछ ऐसे विचार व्याप्त थे.
* नेहरू के अनुसार बच्चों को बचपन में सही मार्गदर्शन और प्यार दिया जाना चाहिए.
* नेहरू के अनुसार बच्चे बगीचे में फूलों की कली समान होते हैं, जिन्हें पूरी तरह खिलने के लिए अच्छी देखभाल की जरूरत होती है.
* वह बच्चों में मासूमियत, सच्चाई, और निष्ठा देखते थे, जो बड़ों के लिए भी प्रेरणा-स्रोत हैं.
* पंडित नेहरू बच्चों के साथ गर्मजोशी और स्नेह के साथ बातचीत करते थे.
* नेहरू जी का मानना था कि बच्चे प्रगति के पथ प्रदर्शक और नए भारत के निर्माता हैं.