Chhath Puja 2019: छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सूर्य देव को दिया जाएगा पहला 'संध्या अर्घ', बन रहा है शुभ संयोग

पांच दिवसीय दिवाली उत्सव के बाद छठ पूजा शुरू हो चुका है. यह बिहार के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है. छठ पूजा चार दिन तक मनाया जानेवाला त्योहार है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के छठे दिन मनाया जाता है. इस वर्ष छठ पूजा 31 अक्टूबर से 3 नवंबर तक मनाई जाएगी.

Chhath Puja 2019: छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सूर्य देव को दिया जाएगा पहला 'संध्या अर्घ', बन रहा है शुभ संयोग
छठ पूजा 2019 (Photo Credits: Wikimedia Commons)

Chhath Puja 2019: पांच दिवसीय दिवाली उत्सव के बाद छठ पूजा शुरू हो चुका है. यह बिहार के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है. छठ पूजा चार दिन तक मनाया जानेवाला त्योहार है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के छठे दिन मनाया जाता है. इस वर्ष छठ पूजा 31 अक्टूबर से 3 नवंबर तक मनाई जाएगी. इस त्योहार पर पुरुष और महिलाएं दोनों व्रत रखते हैं और सुरदेव और छठी मैया से प्रार्थना करते हैं. छठी मैया सूर्यदेव की बहन हैं. देवी दुर्गा के छठे अवतार कात्यायनी देवी को छठ माता का रूप माना जाता है. छठ सबसे शुभ और कठिन त्योहारों में से एक है, इसमें पानी पीने की अनुमति नहीं है. छठ में 36 से 40 घन्टे तक निर्जला व्रत रखा जाता है.

छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है. पहले दिन की शुरुआत “नहाय खाय” की रस्म से होती है. इस दिन लोग अपने घर को साफ करते हैं, स्नान करते हैं और एक विशेष भोजन तैयार करते हैं, जिसे पूरे परिवार के लोग खाते हैं. छठ पूजा के दूसरे दिन "खरना" नामक उपवास शुरू होता है. इस दिन भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को सूर्य भगवान की प्रार्थना के बाद विशेष खीर खाते हैं.

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तीसरे दिन दिया जाता है पहला 'संध्या अर्घ'

छठ पूजा के तीसरे दिन को "संध्या अर्घ" कहा जाता है. इस दिन भक्त उपवास करते हैं और सूर्य की प्रार्थना करते हैं. आज छठ व्रत का तीसरा दिन है. आज शाम सूर्य देव को पहला संध्या अर्घ दिया जाएगा. इस दिन ख़ास संयोग बन रहा है.

बन रहा है विशेष योग:

इस बार खरना और अर्घ्य के समय विशेष योग है. शनिवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य के समय रवि योग है. इस योग का संबंध सूर्य देव से है, इसलिए यह योग सभी बाधाओं को दूर करने वाला है. छठ पूजा के चौथे और आखिरी दिन को उषा अर्घ और पारन कहा जाता है. जहां श्रद्धालु उगते सूर्य को अर्घ देते हैं, उसके बाद अपना व्रत तोड़ते हैं.


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