Chatrapati Shivaji Maharaj Punyatithi 2022: शिवाजी के अवशेषों की डीएनए टेस्ट की मांग क्यों हो रही है? क्यों उनकी मृत्यु को षड़यंत्र माना जा रहा है?
छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी (Photo Credit : Twitter)

भारत में जब भी शौर्य और वीरता के सच्चे किस्से सुनाये जायेंगे, तो छत्रपति शिवाजी महाराज के बिना बात अधूरी होगी. बचपन से किशोरावस्था तक आते-आते शिवाजी ने भारत को मुगलों से आजादी दिलाने के संकल्प के साथ उनके द्वारा आधिपत्य किलों पर कब्जा करना शुरु कर दिया था. उनकी मुट्ठी भर सेना लाखों मुगल सैनिकों पर अगर भारी पड़ती थी, तो इसके पीछे शिवाजी की बहादुरी, कूटनीति एवं चतुराई भरी युद्ध नीति थी. मुगल सैनिक शिवाजी से भिड़ने से कतराते थे, क्योंकि वे और उनकी सेना दुश्मनों पर कहर बनकर टूट पड़ती थी. उनकी बहादुरी और शौर्य की प्रशंसा स्वयं औरंगजेब भी करता था. यद्यपि उनके मौत को लेकर आज भी इतिहासकारों में दुविधा की स्थिति है. छत्रपति शिवाजी महाराज की 342वीं पुण्य-तिथि पर आइये जानें उनकी मृत्यु पर इतनी अटकलें क्यों लग रही हैं.

8 शादियों का राज!

शिवाजी का विवाह 14 मई 1640 में सइबाई निंबालकर से हुआ था, जिन्होंने संभाजी को जन्म दिया था. लेकिन इधर-उधर फैले-बिखरे सामंतों एवं सरदारों को एक छत के नीचे लाने के लिए उन्होंने एक कूटनीतिक रास्ता अपनाते हुए एक के बाद एक 8 और शादियां रचाई. उनकी 8 पत्नियां थीं, सखुबाई राणूबाई, सोयराबाई मोहिते, पुतळाबाई पालकर, गुणवन्ताबाई इंगले, सगुणाबाई शिर्के, काशीबाई जाधव, लक्ष्मीबाई विचारे और सकवारबाई गायकवाड़. यह भी पढ़े: Swami Samarth Prakat Din 2022 Greetings: स्वामी समर्थ प्रकट दिन की हार्दिक बधाई, शेयर करें ये मराठी WhatsApp Wishes, Messages और HD Images

हत्या की साजिश का शक का आधार!

शिवाजी की मृत्यु 03 अप्रैल 1680 उनके उनके रायगढ़ स्थित किले में हुई थी. उनकी मृत्यु जिन परिस्थितियों में हुई थी, उसे देखते हुए कोई भी उनकी मृत्यु पर शक कर सकता है. कुछेक इतिहासकारों के अनुसार शिवाजी को उनके ही कुछ मंत्रियों ने साजिश करके जहर दिया था, जिसमें शिवाजी की एक पत्नी सोयराबाई का नाम भी जोड़ा जाता रहा है. कहते हैं कि सोयराबाई चाहती थीं कि शिवाजी का उत्तराधिकारी संभाजी के बजाय उनका बेटा राजा राम बने, यद्यपि उस समय राजाराम की उम्र मात्र 10 वर्ष थी.

निधन के समय ऐसे थे हालात!

जिस दिन शिवाजी का निधन हुआ था, उस दिन हनुमान जयंती थी, और संपूर्ण किले में हनुमान जयंती की तैयारियां चल रही थीं. शिवाजी की सभी रानियां भी हनुमान जयंती की तैयारियों में व्यस्त थीं. यानि अस्वस्थ चल रहे शिवाजी महाराज उस समय अपने शयनकक्ष में अकेले थे. उनकी हत्या का षड़यंत्र रचने वालों के लिए एक सुनहरा समय हो सकता था. कुछ किताबों में इतिहासकारों ने लिखा कि उन्हें जहर दिया गया था. उन्हें खून की पेचिस हुई थी, और इसके बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका. ऐसा भी माना जाता है कि शिवाजी के निधन के बाद उनके बेटे संभाजी को किले में कैद कर लिया गया था, और राजाराम का राज्याभिषेक कर दिया गया. हालांकि शिवाजी के निधन को स्वाभाविक बताने वाले इतिहासकार इस घटनाक्रम को सच नहीं मानते हैं.

शिवाजी के अवशेषों के डीएनए की मांग क्यों?

शिवाजी की मृत्यु रायगढ़ किले में हुई थी. कहते हैं कि साल 1926-27 में जब इस किले की खुदाई हुई थी, तो इसमें से कुछ हड्डियां और अवशेष मिले थे, जिन्हें शिवाजी का माना जा रहा है. यद्यपि इन अवशेषों पर भी इतिहासकार सर्वसम्मत नहीं मान रहे कि ये अवशेष शिवाजी के ही हैं, लेकिन शिवाजी पर करीब 10 पुस्तकें लिख चुके इतिहासकार इंद्रजीत सावंत ने कुछ समय पहले इच्छा जाहिर की थी कि इन अवशेषों का अगर डीएनए टेस्ट करवाया जाये तो सच्चाई पता चल सकती है कि ये अवशेष किसके हैं. अगर इन्हें शिवाजी का अवशेष माना जाता है तो डीएनए टेस्ट से इस बात का पता चल सकता है कि उनकी मृत्यु स्वाभाविक थी या उन्हें जहर देकर मारा गया था.

कुछ इतिहासकार इसे स्वाभाविक मृत्यु मानते हैं

शिवाजी की मृत्यु के संदर्भ में ऐसे इतिहासकार भी कम नहीं हैं, जो उनकी मृत्यु को सहज और स्वाभाविक मानते हैं. उनके अनुसार शिवाजी तीन साल से अस्वस्थ चल रहे थे. तीन दिन पहले उनकी हालत ज्यादा खराब हो गई थी. शायद उन्हें टायफायड हो गया था. उन्हें तेज बुखार था, उन्हें खून की उल्टियां भी हुई थीं. हालात जब बेकाबू हो गई तो उनकी मृत्यु हो गई.