Bihar Diwas 2024: कब और क्यों उठी अलग बिहार राज्य की मांग? जानें ‘बिहार’ के संघर्ष की कहानी, इतिहास, एवं सेलिब्रेशन!

112 साल पूर्व आज के ही दिन बिहार को बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिला था.

बिहार दिवस 2024 (Photo Credits: File Image)

हर साल 22 मार्च को देश भर में बिहार दिवस मनाया जाता है. लगभग 112 साल पूर्व इसी दिन बंगाल प्रेसीडेंसी से बिहार और उड़ीसा को अलग कर स्वतंत्र राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था. इस अवसर पर बिहार के राज्य सरकार के कार्यालय, कंपनियों, बैंक एवं शैक्षणिक संस्थानों में अवकाश रहता है, एवं इस दिन बिहार सरकार द्वारा बहु सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस उत्सव के आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों के दिलों में बिहार के अभूतपूर्व गौरव को बहाल करना था. आज हम बात करेंगे बिहार दिवस के इतिहास, इसकी संघर्ष गाथा एवं इसके सेलिब्रेशन की

बिहार दिवस का इतिहास

बिहार राज्य के गठन से पूर्व तक यह क्षेत्र बंगाल प्रांत का हिस्सा हुआ करता था, जिसमें ब 22 मार्च 1912 को ब्रिटिश सरकार ने बंगाल प्रांत से बिहार को अलग कर एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा दिया था. गौरतलब है कि इससे पूर्व तक इसमें पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और बांग्लादेश के कुछ हिस्से शामिल थे. बंगाल प्रांत का हिस्सा होने तक मूल बिहार के लोगों को ऐसा लगता था कि ब्रिटिश सरकार द्वारा उनकी उपेक्षा की जा रही है, उनके साथ भेदभाव बरता जा रहा है, तब उन्होंने अपने लिए एक अलग प्रांत की मांग की. 1912 में बंगाल प्रांत से बिहार को अलग कर एक स्वतंत्र प्रदेश के रूप में मान्यता दी गई. यह भी पढ़ें : Nowruz 2024: कब है नवरोज? जानें पारसी समाज साल में दो बार क्यों मनाते हैं यह उत्सव? एवं क्या है इसका इतिहास, एवं सेलिब्रेशन?

1870 में शुरू हुई थी अलगाव की कहानी

प्लासी युद्ध के बाद साल 1765 में पटना की प्रशासनिक पहचान विलुप्त हो गई थी. ईस्ट इंडिया कंपनी को इसकी दीवानी मिली. करीब 125 सालों बिहार की सांस्कृतिक पहचान तो रही, लेकिन प्रांतीय या प्रशासनिक पहचान लगभग समाप्त हो चुकी थी. त्रासदी यह भी कि बिहार की लगभग सभी छोटी-बड़ी सरकारी नौकरियों पर बंगालियों का कब्जा था. 1870 के बाद मुंगेर से प्रकाशित उर्दू अखबार ‘मुर्ग ए सुलेमान’ ने पहली बार ‘बिहार बिहारियों के लिए’ नारे के साथ एक अलग बिहार राज्य की आवाज उठाई. साल 1894 में दो स्थानीय अखबारों बिहार टाइम्स एवं बिहार बंधु ने इस आंदोलन को और मुखर किया. 21 मार्च, 1912 को बंगाल प्रेसीडेंसी के नए गवर्नर थॉमस गिब्सन कारमाइकल ने कार्यभार संभाला. 22 मार्च को उन्होंने बंगाल प्रेसीडेंसी को बंगाल, असम, उड़ीसा और बिहार के रूप में विभाजित किया. एवं पटना को बिहार की राजधानी घोषित किया.

बिहार दिवस सेलिब्रेशन

प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को मनाया जाने वाला बिहार दिवस, बिहार राज्य के गठन का प्रतीक है. इस दिन को बड़े उत्साह और विश्वास के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर बिहार राज्य एवं केंद्र सरकार के सौजन्य से शहर से कस्बों तक शैक्षणिक संस्थानों एवं सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं के तहत विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. बिहार की छवि और वहां की भावना को सशक्त बनाने वाले इन कार्यक्रमों में स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में आमंत्रित किया जाता है

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