Ashadha Gupt Navratri 2024: तांत्रिक ही नहीं दंपतियों के लिए भी शुभ है गुप्त नवरात्रि! जाने कब किस आदिशक्ति की पूजा करें!
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में चार नवरात्रि पड़ती है, दो गृहस्थ (चैत्र और आश्विन में) और दो गुप्त नवरात्रि (आषाढ़ एवं एवं माघ माह में) पड़ती है. 6 जुलाई 2024 से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि शुरू होनेवाली है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में चार नवरात्रि पड़ती है, दो गृहस्थ (चैत्र और आश्विन में) और दो गुप्त नवरात्रि (आषाढ़ एवं एवं माघ माह में) पड़ती है. 6 जुलाई 2024 से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि शुरू होनेवाली है. आइये जानते हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के बारे में विस्तार से..
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2024 की मूल तिथि एवं मुहूर्त!
आषाढ़ माह प्रतिपदा प्रारंभ: 04.25 AM (6 जुलाई 2024, शनि१क़!!वार)
आषाढ़ माह प्रतिपदा समाप्त: 04.25 AM (07 जुलाई 2024, रविवार)
उदया तिथि के अनुसार, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 6 जुलाई 2024 को घटस्थापना के साथ होगी.
तांत्रिकों की ही नहीं है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि!
आचार्य के अनुसार, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि केवल तंत्र-मंत्र की सिद्धि अथवा तांत्रिकों के लिए नहीं होती, बल्कि गृहस्थ जीवन जीने वालों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है. गुप्त नवरात्रि के नौ दिन तक प्रत्येक दंपत्ति को देवी दुर्गा के समक्ष विभिन्न शक्ति वाले मंत्रों का जाप करना चाहिए, अन्यथा दुर्गा सप्तशती के 11 पाठ अवश्य करना चाहिए. इससे दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है. बहुत से लोग किसी मन्नत के पूरी होने पर आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर कलश स्थापना के साथ नौ दिन व्रत एवं पूजन करते हैं.
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि महत्व
गुप्त नवरात्रि के नौ सभी दिनों तक आदिशक्ति के सभी महाविद्या स्वरूपों की पूजा-अनुष्ठान करने वाले भक्तों को ब्रह्मांड के तमाम रहस्यों का ज्ञान प्राप्त होता है. गुप्त नवरात्रि में तंत्र-साधना का भी गहरा महत्व है, सच्चे मन और आस्था से आदिशक्ति की पूजा करने से देवी की विशेष कृपा से जातक भविष्य का ज्ञाता हो जाता है, यद्यपि यह अनुष्ठान कठिन है, किसी विशेषज्ञ से दिशा निर्देशन लेकर ही यह अनुष्ठान शुरू करना चाहिए.
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर करें इन आदिशक्ति की पूजा!
दिन-1, माँ काली: मां काली मृत्यु, काल और परिवर्तन की देवी हैं. यह सुन्दर रूप वाली आदिशक्ति दुर्गा माता का विकराल स्वरूप है. मां काली की उत्पत्ति असुरों के संहार के लिये हुई थी.
दिन-2, मां तारा देवी: महाविद्या तारा देवी के भी 3 रूप हैं- उग्र तारा, एक जटा और नील सरस्व. मां तारा देवी को श्मशान की देवी भी कहा जाता है.
दिन-3, मां त्रिपुर सुंदरी: देवी ललिता को ही मां त्रिपुर सुंदरी कहा जाता है. मां ललिता माहेश्वरी शक्ति की विग्रह शक्ति हैं. मां त्रिपुर सुंदरी 16 (षोडश) कलाओं से परिपूर्ण हैं, अतः माता को षोडशी के नाम से भी जाता है.
दिन-4, मां भुवनेश्वरी: मां दुर्गा के भुवनेश्वरी रूप का अर्थ है संसार भर के ऐश्वर्य की स्वामिनी। आदिशक्ति मां दुर्गा के दस महाविद्याओं का पंचम स्वरूप हैं,
दिन-5, माता छिन्नमस्ता: छिन्नमस्ता माता को मां दुर्गा का उग्र स्वरूप माना जाता है. माता छिन्नमस्ता की उपासना एवं पूजा से जीवन के सभी कष्ट और भय से मुक्ति मिलती है.
दिन- 6, मां त्रिपुर भैरवी: महाविद्या की छठी शक्ति हैं मां त्रिपुर भैरवी. त्रिपुर का अर्थ सृष्टि के तीनों लोकों से है और भैरवी का संबंध भगवान काल भैरव से है.
दिन-7, मां धूमावती: मां धूमावती देवी दुर्गा का विधवा स्वरूप हैं. मां धूमावती की पूजा सुहागन महिलाएं नहीं करती हैं. हिन्दू धर्म कथाओं के अनुसार मां धूमावती को देवी पार्वती का उग्र स्वभाव माना गया है.
दिन-8, माता बगलामुखी: मां बगलामुखी की उपासना करने से शत्रु भय से मुक्ति मिलती है. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की साधना और पूजा से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है.
दिन-9, माता कमला देवी: माँ कमला 10 महाविद्या में दसवीं महाविद्या हैं. माँ कमला देवी की पूजा करने से साधक को सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.