नई दिल्ली: भारत में विकसित की गई डीएनए आधारित जायडस कैडिला (Zydus Cadila) की 'जाइकोव-डी' वैक्सीन (ZyCOV-D Vaccine) कोरोना वायरस के डेल्टा वेरियंट (Delta Variant) के खिलाफ भी काफी असरदार है. कंपनी ने इसकी प्रभावकारिता लगभग 66 फीसदी बताई है. जाइकोव-डी वैक्सीन तीन डोज वाली कोरोना रोधी वैक्सीन है. पहले डोज के 28वें दिन दूसरा डोज और फिर पहले डोज के 56वें दिन तीसरा डोज दिया जाता है. फाइजर का टीका 16 से 39 आयु वर्ग को लगाने की खबर स्वागत योग्य
जायडस ग्रुप (Zydus Group) के एमडी डॉ शरविल पटेल (Dr Sharvil Patel) ने बताया कि हमारी तरफ से अभी तक जाइकोव-डी वैक्सीन के ट्रायल में 28,000 वॉलिंटियर भाग ले चुके हैं. दोनों ट्रायल के नतीजों को साइंटिफिक रिसर्च और स्क्रूटनी के लिए लैंसेट में पब्लिश किया जा चुका है, तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे आने में 2 से 3 महीने का वक्त लगेगा.
उन्होंने कहा “हमारी वैक्सीन की प्रभावकारिता (Efficacy) 66 फीसदी से अधिक है, और डेल्टा वेरियंट (Delta Variant) के खिलाफ इसकी प्रभावकारिता लगभग 66% है.” वैक्सीन की कीमत को लेकर जायडस ग्रुप के एमडी ने कहा कि अगले हफ्ते वैक्सीन की कीमत पर स्पष्टता होगी. जबकि सितंबर के मध्य में जाइकोव-डी वैक्सीन की आपूर्ति शुरू हो जाएगी. उन्होंने बताया कि नए उत्पादन संयंत्र में अक्टूबर से वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाकर 1 करोड़ प्रति माह किया जा सकता हैं.
ZYCOV-D is a three-dose vaccine given on day zero, day 28th and then on the 56th day. This vaccine is approved for adults and adolescents above the age of 12: Dr Sharvil Patel, MD, Zydus Group pic.twitter.com/zyZIFZA8Sf
— ANI (@ANI) August 21, 2021
एक दिन पहले ही पीएम मोदी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जाइडस यूनिवर्स की दुनिया की पहली डीएनए आधारित 'जाइकोव-डी' वैक्सीन को मंजूरी मिलना भारत के वैज्ञानिकों के अभिनव उत्साह का प्रमाण है. सीडीएससीओ इंडिया इनफो के एक ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा 'भारत पूरे जोश के साथ कोविड-19 से लड़ रहा है. जाइडस यूनिवर्स की दुनिया की पहली डीएनए आधारित 'जाइकोव-डी' वैक्सीन को मंजूरी मिलना भारत के वैज्ञानिकों के अभिनव उत्साह का प्रमाण है. यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.'
जाइकोव-डी वैक्सीन को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी (ईयूए) मिल गई है. यह दुनिया का पहला और भारत का स्वदेशी तौर पर विकसित डीएनए आधारित कोविड-19 वैक्सीन है. इसका उपयोग बच्चों के साथ-साथ 12 साल से अधिक उम्र के वयस्कों के लिए किया जा सकता है.
इस वैक्सीन का तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण 28,000 से अधिक लोगों पर किया गया. इसमें लक्षण वाले आरटी-पीसीआर पॉजिटिव मामलों में 66.6 प्रतिशत प्राथमिक प्रभावकारिता दिखी. यह कोविड-19 के लिए भारत में अब तक का सबसे बड़ा वैक्सीन परीक्षण है. यह वैक्सीन पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण में प्रतिरक्षण क्षमता और सहनशीलता और सुरक्षा प्रोफाइल के मोर्चे पर जबरदस्त प्रदर्शन पहले ही कर चुका है. पहले, दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण की निगरानी एक स्वतंत्र डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड (डीएसएमबी) द्वारा की गई है.