योगेंद्र यादव ने दिया बड़ा बयान, कहा- किसान आंदोलन के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा सोमवार
योगेंद्र यादव (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली: जय किसान आंदोलन (Jai Kisan Andolan) के संस्थापक योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने सोमवार को कहा कि आज के भारत बंद (Bharat band) को पूरे देश में अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली है. उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि यह "दिन किसान आंदोलन के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा." यादव ने कहा, "किसान आंदोलन को चंद किसानों का आंदोलन बताकर उसे नीचा दिखाने वालों को आज करारा जवाब मिला है." Farmers Protest: किसान आंदोलन को लेकर BJP का राहुल गांधी पर बड़ा आरोप, कहा- दूसरों के कंधों पर बंदूक रखकर कर रहे हैं राजनीति

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और अन्य किसान संघों द्वारा नए कृषि कानूनों के पारित होने के एक वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में दिनभर के भारत बंद का आह्वान किया गया था. बंद शाम चार बजे समाप्त हुआ और राष्ट्रीय राजधानी के लिए सभी मार्गो पर यातायात की आवाजाही फिर से शुरू हो गई है, जिन्हें आंदोलनकारी किसानों ने सुबह से ही अवरुद्ध कर दिया था. सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक बंद का आह्वान किया गया.

स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने आईएएनएस से कहा, "हमने पूरे देश में किसानों का समर्थन अर्जित किया है. हमारा आंदोलन अब भारत के दूर-दराज के इलाकों में पहुंच रहा है और सभी नए कृषि कानूनों के विरोध में समर्थन कर रहे हैं."

यादव ने कहा कि क्षेत्रीय बाधाओं को पार करते हुए यह आंदोलन भारत के कोने-कोने तक पहुंच गया है और सभी राज्यों के किसानों ने भारत बंद में भाग लिया है और इसे सफल बनाया है.

केंद्र से बातचीत के बारे में पूछे जाने पर यादव ने स्पष्ट रूप से कहा कि लोकतंत्र लोगों द्वारा चलाया जाता है और यह आंदोलन एक जनांदोलन में बदल गया है, जहां सभी वर्गो की सक्रिय भागीदारी है. "हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी बात मानेगी."

उन्होंने कहा कि केंद्र ढुलमुल रवैया अपना रहा है. हर बड़े पैमाने पर कार्रवाई से पहले कृषि मंत्री ने कहते हैं कि सरकार किसान संघों के साथ बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन वे हमें बातचीत के लिए नहीं बुलाते हैं.

यादव ने कहा, "मंत्री को हमें तारीख और समय बताना चाहिए कि वे हमसे कब मिलना चाहते हैं. सरकार से बातचीत के लिए हमारे पास फिलहाल कोई निमंत्रण नहीं है."

विरोध प्रदर्शनों में राजनीतिक दलों के शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा, "हम उन लोगों के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने भारत बंद के दौरान हमारा साथ दिया. लेकिन यह विरोध प्रदर्शन किसी राजनीतिक दल का नहीं है और इसलिए कोई भी राजनीतिक नेता संयुक्त किसान मोर्चा के मंच का इस्तेमाल पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में नहीं कर सकता."

हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी में बंद के आह्वान के बावजूद सार्वजनिक परिवहन चालू रहा. राजधानी में डीटीसी बसें, दिल्ली मेट्रो, ऑटो-रिक्शा और सार्वजनिक और निजी परिवहन के अन्य साधन सुचारु रूप से चले. शहर के उन चार प्रवेश बिंदुओं को छोड़कर, जिन्हें किसानों ने अवरुद्ध कर दिया था, सभी संचार सामान्य रहे. बंद के आह्वान को 100 से अधिक किसान संघों, 15 ट्रेड यूनियनों, राजनीतिक दलों और कई राज्य सरकारों ने समर्थन दिया.