अब मुफ्त नहीं होगा UPI ट्रांजेक्शन? ये शुल्क फिर से लगाने का मिला प्रस्ताव

एकीकृत भुगतान इंटरफेस यानी यूपीआई को लेकर बड़ी खबर आ रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल के वर्षों में क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और मोबाइल वॉलेट ट्रांजेक्शंस को पीछे छोड़ने वाली देश की सबसे लोकप्रिय तत्काल भुगतान प्रणाली यूपीआई (UPI) यूजर्स के लिए मुफ्त नहीं रहेगी. यूपीआई ट्रांजेक्शन पर अब चार्ज लगाया जा सकता है. पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने सरकार को एक पत्र लिखकर Merchant Discount Rate (MDR) को फिर से लागू करने का प्रस्ताव दिया है, जो UPI और RuPay डेबिट कार्ड्स के माध्यम से किए गए ट्रांजेक्शंस पर लागू होगा. यदि यह प्रस्ताव मंज़ूर हो जाता है, तो इससे देश के डिजिटल भुगतान सिस्टम पर बड़ा असर पड़ेगा.

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, UPI ने फरवरी 2025 में सिर्फ एक महीने में 16 बिलियन ट्रांजेक्शंस किए, जिनकी कुल राशि लगभग 22 लाख करोड़ रुपय थी. यह बदलाव UPI के यूज़र्स के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, जो पहले बिना किसी शुल्क के UPI के माध्यम से अपने लेन-देन कर रहे थे. अब देखना यह होगा कि सरकार इस प्रस्ताव पर क्या कदम उठाती है, और इसका भारत के डिजिटल भुगतान पर क्या प्रभाव पड़ सकता है.

क्या UPI ट्रांजेक्शन हमेशा मुफ्त थे?

इससे पहले, मर्चेंट UPI ट्रांजेक्शंस पर बैंक को लेन-देन राशि का 1% से कम MDR शुल्क अदा करते थे. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिसंबर 2019 में यह घोषणा की थी कि, RuPay और UPI प्लेटफॉर्म्स पर किए गए ट्रांजेक्शंस पर 1 जनवरी 2020 से कोई MDR (Merchant Discount Rate) शुल्क लागू नहीं होगा.

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MDR क्या है?

Merchant Discount Rate (MDR) वह शुल्क है जो मर्चेंट को अपने ग्राहकों से डिजिटल माध्यम से भुगतान स्वीकार करने के लिए बैंक को अदा करना होता है. भारत में, क्रेडिट/डेबिट कार्ड पेमेंट्स या मोबाइल वॉलेट्स पर MDR शुल्क आमतौर पर ट्रांजेक्शन राशि का 1% से 3% होता है. हालांकि, वर्तमान में UPI और RuPay डेबिट कार्ड्स पर कोई MDR शुल्क नहीं है.

उदाहरण के लिए, यदि आप 5,000 रुपय का भुगतान अपने क्रेडिट कार्ड से करते हैं, और उस कार्ड पर 2% का MDR शुल्क है, तो मर्चेंट को 100 रुपय (5,000 रुपय x 2%) का शुल्क बैंक को अदा करना होगा. लेकिन अगर आप UPI के जरिए भुगतान करते हैं, तो मर्चेंट को कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ता है.

क्यों पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया MDR को फिर से लागू करने की कर रही है मांग?

पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया का कहना है कि, UPI पर zero MDR नीति को खत्म करने की मांग वित्तीय स्थिरता के कारण की जा रही है. अब तक सरकार UPI भुगतान की संचालन लागत को कवर करने के लिए वित्तीय इंसेंटिव और सब्सिडी देती रही है. लेकिन ये सब्सिडी अब लगभग 60% कम हो गई हैं, जो FY24 में 3,500 करोड़ रुपय थी, वह अब FY25 में 1,500 करोड़ रुपय रह गई है. इसके परिणामस्वरूप, इन सब्सिडियों से UPI सेवाओं को चलाने की लागत पूरी नहीं हो पा रही है.

PCI ने सरकार को एक औपचारिक पत्र भेजकर यह बताया है कि, FY25 के लिए 1,500 करोड़ रुपय की अलोकेशन केवल अनुमानित 10,000 करोड़ रुपय वार्षिक लागत का एक छोटा सा हिस्सा है, जो UPI सेवाओं को बनाए रखने और विस्तार करने के लिए आवश्यक है.

PCI के मेम्बर्स यह मानते हैं कि, भारत में डिजिटल भुगतान के विकास के लिए निरंतर निवेश की आवश्यकता होगी, जो इन्वोवेशन, साइबर सुरक्षा, मर्चेंट ऑनबोर्डिंग, अनुपालन, और IT इन्फ्रास्ट्रक्चर में किया जाए. यह सब MDR के रूप में नियमित रूप से मिलने वाली धनराशि से ही संभव होगा.

इसलिए, PCI ने UPI और RuPay ट्रांजेक्शंस पर 0.3% MDR फिर से लागू करने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन यह शुल्क केवल बड़े ट्रेडर्सपर लागू होगा, जो पहले से अन्य प्लेटफार्म्स पर MDR अदा कर रहे हैं.

अगर UPI पर MDR फिर से लागू किया जाता है, तो क्या होगा?

यदि सरकार UPI ट्रांजेक्शंस पर MDR को फिर से लागू करने का निर्णय लेती है, तो मर्चेंट इस लागत को सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं पर डाल सकते हैं. मर्चेंट या तो उत्पाद की कीमतें बढ़ा सकते हैं या MDR शुल्क उपभोक्ताओं से ले सकते हैं.

विकल्प के तौर पर, यदि मर्चेंट उपभोक्ताओं पर बढ़ी हुई लागत नहीं डालना चाहते, तो वे नकद भुगतान की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे भारत की डिजिटलीकरण योजनाओं में बाधा आ सकती है.