दीवाली पर वन्यजीव संस्था ने उल्लूओं की तस्करी रोकने के लिए जारी किया परामर्श

वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क ‘ट्रैफिक’ ने प्रवर्तन एजेंसियों को परामर्श जारी करते हुए कहा है कि उन्हें दीवाली पर तांत्रिक क्रियाओं के लिए उल्लूओं की तस्करी और बलि रोकने की कोशिशों को और बढ़ा देना चाहिए.

प्रतीकात्मक तस्वीर ( Photo Credit: Facebook )

नयी दिल्ली: वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क ‘ट्रैफिक’ ने प्रवर्तन एजेंसियों को परामर्श जारी करते हुए कहा है कि उन्हें दीवाली पर तांत्रिक क्रियाओं के लिए उल्लूओं की तस्करी और बलि रोकने की कोशिशों को और बढ़ा देना चाहिए. विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के तहत संचालित होने वाले कार्यक्रम विभाग ‘ट्रैफिक इंडिया’ ने कहा कि देश में दीवाली उत्सव की तैयारियों जोरों पर हैं और दिवाली पर "तांत्रिक" क्रियाओं के लिए आपूर्ति के लिए बड़ी संख्या में उल्लूओं को पकड़ा जा रहा है.

हालांकि इसमें कहा गया कि देश में उल्लूओं के व्यापार का सही आंकड़ा ज्ञात नहीं है, लेकिन संभवत: यह संख्या हजारों में हो सकती है.

एक बयान में कहा गया, ‘ट्रैफिक ने संबंधित एजेंसियों को सलाह जारी करते हुए कहा है कि भारत की विलुप्त हो रही प्रजाति पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए उल्लूओं की तस्करी और बलि देने को रोकने से संबंधित प्रयासों को बढाया जाये.’ भारत में गैर कानूनी तरीके से उल्लूओं के व्यापार पर प्रकाशित रिपोर्ट ‘इंपीरल्ड कस्टोडियन्स आफ द नाइट’ के आधार पर ट्रैफिक ने यह सलाह जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार, उल्लूओं का उपयोग और व्यापार कई कारणों से होता है जिसमें काला जादू, सड़क पर प्रदर्शन, चर्म प्रसाधन या चिड़ियाघर, भोजन, देसी दवा बनाना, अन्य पक्षियों को पकड़ना, पंजे और पंखो का इस्तेमाल शामिल है.

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