Puthandu 2024: कब, क्यों और कहां मनाया जाता है पुत्ताण्डु पर्व? जानें इसका महत्व, पूजा-अनुष्ठान एवं पारंपरिक सेलिब्रेशन!
‘पुत्ताण्डु’ तमिल नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है. तमिल कैलेंडर के अनुसार पुत्ताण्डु से ही नववर्ष की शुरुआत होती है. वस्तुतः यह दिन तमिल माह चित्तराई के पहले दिन को तमिल नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है. तमिल समुदाय के बीच पुथंडु का बड़ा ही धार्मिक महत्व रखता है. इस दिन को तमिलभाषी बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं.
‘पुत्ताण्डु’ तमिल नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है. तमिल कैलेंडर के अनुसार पुत्ताण्डु से ही नववर्ष की शुरुआत होती है. वस्तुतः यह दिन तमिल माह चित्तराई के पहले दिन को तमिल नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है. तमिल समुदाय के बीच पुथंडु का बड़ा ही धार्मिक महत्व रखता है. इस दिन को तमिलभाषी बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 14 अप्रैल 2024, रविवार को पुथंडु मनाया जाएगा. आइये जानें तमिल भाषियों के लिए पुत्ताण्डु का महत्व, संस्कृति और सेलिब्रेशन क्या है.
पुत्ताण्डु का महत्व
तमिल समुदायों के लिए पुथंडू का दिन बड़ा धार्मिक महत्व रखता है. इस दिन को वे नववर्ष की शुरुआत के रूप में मनाते हैं. हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान इंद्र शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने इस शुभ दिन पर ब्रह्मांड की स्थापना की शुरुआत की थी. इस अवसर को सेलिब्रेट करने के लिए लोग मंदिरों में जाते हैं, पूजा-अर्चना आदि करते हुए अच्छे भाग्य एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं. इस दिन को वे शुभ मंगल कार्य गृह प्रवेश, मुंडन एवं जनेऊ संस्कार अथवा नया व्यवसाय, गृह निर्माण शुरू करने, आदि के लिए सबसे शुभ दिन मानते हैं. वैदिक ज्योतिष के मुताबिक इस दिवस को सूर्य की बदली हुई स्थिति के अनुसार सेलिब्रेट किया जाता है. यह पर्व वस्तुतः लोगों और प्रकृति के बीच संतुलन का प्रतीक है. यह भी पढ़े :Lakshmi Panchami 2024: कब और क्यों मनाई जाती है लक्ष्मी पंचमी? जानें इस व्रत-पूजा का महत्व, मंत्र, मुहूर्त एवं पूजा विधि
पुत्ताण्डु अनुष्ठान
तमिल समुदाय के लिए पुत्ताण्डु का बहुत आध्यात्मिक महत्व है. इस दिन घर की महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर हल्दी से स्नान करती हैं. घर को तोरण एवं रंगोली से सजाती हैं. नये वस्त्र पहनकर सपरिवार निकटतम मंदिर में जाकर पूजा-अनुष्ठान में भाग लेते हैं, और ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. परिवार का मुखिया इस अवसर पर पंचांगम् पढ़ता है. मेहमानों के स्वागत के लिए फल, मिठाई, आदि मंगाए जाते हैं. इस अवसर पर घर पर कुछ पारंपरिक मगर सात्विक पकवान भी बनाये जाते हैं. इस दिन एक विशिष्ठ पकवान पचड़ी भी बनाने का रिवाज है, जो गुड़, आम, इमली के पानी, सूखे नीम के पत्तों और लाल मिर्च से बनते हैं. यह पेय परिवार को आवश्यक रूप से परोसा जाता है.
पुत्ताण्डु सेलिब्रेशन
* पुत्ताण्डु के शुभ दिन भक्त मंदिरों में जाते हैं और सर्वशक्तिमान ईश्वर से परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करते हैं.
* कुछ लोग अपने कुल देवता एवं कुलदेवी की विशिष्ठ पूजा करते हैं, वहीं कुछ तमिलियन परिवार अपने पितरों की शांति के लिए महादेव से प्रार्थना करते हैं. इसे थारपनम कहते हैं.
* इस दिन इष्ट-मित्र एवं रिश्तेदार घर आते हैं, और एक दूसरे को ‘पुट्टू वतुत काका!’ कहकर शुभकामनाएं देते हैं.
* इस दिन घर में थाली को अपने-अपने तरीके से सजाकर रखते हैं. इसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
* घर के बड़े सदस्य बच्चों को उपहार के साथ आशीर्वाद देते हैं.
* कुछ जगहों पर इसे विशु के नाम से भी मनाया जाता है.