लॉकडाउन का आकलन करने के लिए पश्चिम बंगाल पहुंची केंद्रीय टीम, ममता बनर्जी नाखुश, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मांगी जानकारी

केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश के इंदौर, महाराष्ट्र के मुंबई एवं पुणे, राजस्थान के जयपुर और पश्चिम बंगाल के कोलकाता, हावड़ा, पूर्वी मेदिनीपुर, उत्तर 24 परगना, दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और जलपाईगुड़ी में हालात का जायजा लेने के लिए छह अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमें (आईएमसीटी) बनाई है.

ममता बनर्जी (Photo Credits: IANS/File)

नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण लगातार बढता जा रहा है. जिसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश के इंदौर, महाराष्ट्र के मुंबई एवं पुणे, राजस्थान के जयपुर और पश्चिम बंगाल के कोलकाता, हावड़ा, पूर्वी मेदिनीपुर, उत्तर 24 परगना, दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और जलपाईगुड़ी में हालात का जायजा लेने के लिए छह अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमें (आईएमसीटी) बनाई है. हालांकि केंद्र सरकार का यह कदम पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को रास नहीं आया है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि हम कोविड-19 संकट से निपटने में केंद्र सरकार के सभी रचनात्मक समर्थन और सुझावों का स्वागत करते हैं. हालाँकि, जिस आधार पर केंद्र ने देशभर में आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत चुनिंदा जिलों में (जिसमें कुछ बंगाल के भी जिले शामिल है) आईएमसीटी की तैनाती का प्रस्ताव दिया है. यह स्पष्ट नहीं है. देश में कोरोना वायरस के 80 प्रतिशत मामले लक्षण विहीन, आईसीएमआर का बड़ा खुलासा

उन्होंने कहा “मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित शाह जी से इसके लिए निर्धारित की गई कसौटी को साझा करने का आग्रह करती हूं. मुझे डर है कि हम बिना सही कारण के इस पर आगे नहीं बढ़ पाएंगे क्योंकि यह संघवाद की भावना के अनुरूप नहीं है.’

केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस के कारण मुंबई, पुणे, इंदौर, जयपुर, कोलकाता और पश्चिम बंगाल के कुछ अन्य स्थानों में हालात ज्यादा गंभीर हैं. यहां लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन से जानलेवा वायरस फैलने का खतरा है. ऐसे में कोविड-19 से निपटने के लिए काम कर रहे स्वास्थ्यसेवा पेशेवरों पर हिंसा, सामाजिक दूरी बनाए रखने का उल्लंघन और शहरी इलाकों में वाहनों की आवाजाही के कई मामले सामने आए हैं जिन्हें रोका जाना चाहिए.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि मध्य प्रदेश के इंदौर, महाराष्ट्र के मुंबई एवं पुणे, राजस्थान के जयपुर और पश्चिम बंगाल के कोलकाता, हावड़ा, पूर्वी मेदिनीपुर, उत्तर 24 परगना, दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और जलपाईगुड़ी में हालात ‘‘विशेष रूप से गंभीर’’ हैं. इन स्थानों में कोविड-19 संबंधी हालात का वहां जाकर आकलन करने और चारों राज्यों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान एवं पश्चिम बंगाल के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने के लिए छह अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमें (आईएमसीटी) गठित की है. उसने कहा कि टीमें केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी.

गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘आईएमसीटी बंद के नियमों के अनुसार दिशा-निर्देशों के पालन एवं क्रियान्वयन, आवश्यक वस्तुओं की आपर्ति, सामाजिक दूरी, स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे की तैयारी, स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा और श्रमिकों एवं गरीबों के लिए स्थापित राहत शिविरों में हालात पर गौर करेंगी.’’

इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने आरोप लगाया था कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की नोडल एजेंसी एनआईसीईडी ने राज्य में कोविड-19 संबंधी जांच के लिए जिन किट की आपूर्ति की है, वे ‘‘जाहिर तौर पर खराब’’ हैं. सरकार ने यह आरोप लगाते हुए कहा कि ये किट ‘‘अनिर्णायक परिणाम’’ दर्शाती हैं जिसके कारण पुष्टि के लिए बार-बार जांच करनी पड़ती है और बीमारी का पता लगाने में देरी होती है.

हालांकि आईसीएमआर ने कहा कि सभी किट यूएस एफडीए द्वारा स्वीकृत की हुई है और अच्छे मानक वाली हैं. केवल एक चीज यह गौर करने वाली है कि किट को 20 डिग्री तापमान में रखना आवश्यक है. अन्यथा, परिणाम सही नहीं मिल सकते हैं. (एजेंसी इनपुट के साथ)

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