मणिपुर में 'फ्री मूवमेंट' के पहले दिन कुकी प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों में हिंसक झड़प, पुलिस लाठीचार्ज में कई घायल

इंफाल/नई दिल्ली: मणिपुर में सुरक्षा बलों की निगरानी में नागरिक बसों की आवाजाही फिर से शुरू हो गई है, लेकिन इस दौरान कुकी समुदाय के प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हुईं. कुकी जनजाति तब तक ‘फ्री मूवमेंट’ की अनुमति नहीं चाहती, जब तक उनकी अलग प्रशासनिक इकाई की मांग पूरी नहीं होती.

झड़प और हिंसक प्रदर्शन 

राजधानी इंफाल से करीब 45 किमी दूर कांगपोकपी जिले में सुरक्षा बलों को माइन्स-रेसिस्टेंट गाड़ियों के जरिए रास्ता बनाना पड़ा. कुकी महिलाओं सहित कई प्रदर्शनकारियों ने हाईवे पर बैरिकेड लगाए और रास्ता रोकने की कोशिश की, जिसके जवाब में सुरक्षाबलों ने लाठीचार्ज किया. इस दौरान कई महिलाएं घायल हो गईं.

कुछ इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को खोद डाला, टायर जलाए और बैरिकेड लगाए. कई जगहों पर पत्थरबाजी हुई और प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों को वापस लौटने के लिए कहा.

राष्ट्रपति शासन और केंद्र सरकार का सख्त रुख 

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है. इसके बाद केंद्र सरकार ने सड़कों पर किसी भी तरह के अवरोध की अनुमति न देने का आदेश दिया.

कुकी और मैतेई समुदायों के बीच बढ़ता तनाव 

मई 2023 से मणिपुर में कुकी जनजातियों और मैतेई समुदाय के बीच संघर्ष जारी है. भूमि अधिकार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व को लेकर शुरू हुआ विवाद हिंसक हो चुका है. अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 50,000 लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं.

कुकी नेताओं और करीब दो दर्जन उग्रवादी समूहों ने केंद्र सरकार से मणिपुर में अलग प्रशासनिक क्षेत्र की मांग की है और कहा है कि जब तक यह नहीं मिलता, वे ‘फ्री मूवमेंट’ को नहीं मानेंगे. दूसरी ओर, मैतेई समुदाय का कहना है कि कुकी प्रदर्शनकारी उन हजारों बेघर लोगों को घर लौटने से रोक रहे हैं, जो राहत शिविरों में रह रहे हैं.

‘कुकीलैंड’ की मांग और भविष्य की राह 

कुकी-जो समुदाय का दावा है कि मई 2023 में हुई हिंसा के बाद उन्होंने स्वायत्त परिषद की मांग से आगे बढ़कर अलग प्रशासनिक इकाई या केंद्र शासित प्रदेश की मांग की है.

वहीं, मैतेई समुदाय का कहना है कि कुकी समूह दशकों से ‘कुकीलैंड’ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. विश्व कुकी-जो इंटेलेक्चुअल काउंसिल (WKZIC) ने 15 जनवरी को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर दावा किया कि कुकी जनजातियां 1946-47 से ही अलग राज्य की मांग कर रही हैं. अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इस संकट का समाधान कैसे निकालती है और क्या मणिपुर में शांति बहाल हो सकेगी.