केरल में माकपा के शीर्ष नेताओं के केस में फंसने के साथ विजयन की मुश्किलें बढ़ीं

2021 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की जीत को रिकॉर्ड क्षण कहा जा रहा था, लेकिन अब चीजें न केवल मुख्यमंत्री, बल्कि पार्टी के लिए भी मुश्किल होती दिख रही हैं.

Pinarayi Vijayan

तिरुवनंतपुरम, 3 मार्च : 2021 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Pinarayi Vijayan) की जीत को रिकॉर्ड क्षण कहा जा रहा था, लेकिन अब चीजें न केवल मुख्यमंत्री, बल्कि पार्टी के लिए भी मुश्किल होती दिख रही हैं. यह सब ऐसे समय में हुआ है, जब केरल सीपीआई (एम) का आखिरी गढ़ बना हुआ है, और पार्टी को त्रिपुरा चुनाव के नतीजों में झटका लगा है. फिलहाल, विजयन सोने की तस्करी के मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश के खुलासे और अपने पसंदीदा प्रोजेक्ट 'लाइफ मिशन' रिश्वतखोरी के मामले में मुश्किल दौर से गुजर रहे है.

विजयन का दाहिना हाथ, उनके पूर्व प्रमुख सचिव और अब सेवानिवृत्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एम. शिवशंकर लाइफ मिशन रिश्वत मामले में जेल में हैं. उनके एक अन्य करीबी सहयोगी और सहायक निजी सचिव सी.एम. रवींद्रन को मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होने के लिए कहा गया है. वह 27 फरवरी को उनके सामने पेश नहीं हुए थे. यह भी पढ़ें : J&K: एनआईए ने कश्मीर के सोपोर में हिजबुल आतंकवादी की संपत्ति की कुर्क

माकपा को एक और बड़ा झटका तब लगा जब सत्तारूढ़ वामपंथी पार्टी के संयोजक और राज्य के पूर्व उद्योग मंत्री ई.पी. जयराजन अपने ही वरिष्ठ पार्टी सहयोगी के निशाने पर आ गए. मीडिया रिपोटरें के अनुसार, पी.जयराजन ने आरोप लगाया था कि ई.पी. जयराजन ने अपने पद का दुरुपयोग किया और भारी संपत्ति बनाई.

परेशानी को भांपते हुए पार्टी के नए सचिव एम.वी. गोविंदन ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि यह मीडिया की देन है. लेकिन, गुरुवार को आयकर-टीडीएस विंग की एक टीम को कन्नूर में नए आयुर्वेद रिसॉर्ट में 20 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता चला, जहां ई.पी. जयराजन की पत्नी अध्यक्ष और उनके बेटे संस्थापक निदेशक हैं. साथ ही साथ ईडी कोच्चि कार्यालय की खुफिया शाखा ने एक मीडिया पेशेवर की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए आरोप लगाया कि रिसॉर्ट की इमारत में बड़े पैमाने पर काले धन का लेन-देन हुआ है, इसकी जांच शुरू कर दी है.

राजनीतिक विश्लेषक के.सी. उमेश बाबू कहते हैं, अब सीपीआई (एम) की केरल इकाई कह रही है कि मोदी सरकार राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ राष्ट्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है. मैं यह बताना चाहता हूं कि भाजपा के लिए माकपा की कोई परवाह नहीं है. माकपा के लिए सबसे बड़ा दुश्मन है उनकी पार्टी के नेता ही हैं.

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