जल्द देशभर में महकेगा वाराणसी के रामनगर का प्रसिद्ध बैंगन, इन खूबियों के कारण मिलेगा GI टैग
प्रतिकात्मक तस्वीर ( photo credit : facebook )

वाराणसी, 5 जनवरी : वाराणसी (Varanasi) जिले के रामनगर (Ramnagar) में विशिष्ट किस्म के बैंगन की उपज होती है. अपने स्वाद, आकार और अन्य गुणों के कारण यह बैंगन पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है. अब रामनगर का यह बैंगन राष्ट्रीय पहचान बनने वाला है. वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल (Deepak Aggarwal) ने कहा है कि हमने जीआई टैग के लिए आवदेन किया है. हमें उम्मीद है कि रामनगर के बैंगन को जीआई टैग मिल जाएगा. जीआई टैग मिलने की बात सुनकर उत्साहित रामनगर के किसान रामनगर के बैंगन को जीआई टैग मिलेगा, यह जानकर किसान उत्साहित है. स्थानीय किसान बच्चा लाल मौर्य कहते हैं कि यहां का बैंगन स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है. इस बैंगन के तेल में फैट की मात्रा कम होती है.

जीआई टैग (Gi tag) मिलने से देश भर में भंटा को पहचान तो मिलेगी ही साथ ही बड़ा बाजार भी मिलेगा. रामनगर के भंटा को जीआई टैग दिलाने के लिए स्थानीय प्रशासन भी पुरजोर प्रयास कर रहा है. उत्पाद के भौगोलिक मूल क्षेत्र को बताता है जीआई टैग जियोग्राफिकल इंडिकेटर (Geographical indicator) का संक्षिप्त रूप जीआई टैग है. हिंदी में इसे भौगोलिक संकेतक कहते हैं. किसी क्षेत्र विशेष के मूल उत्पाद को जीआई टैग दिया जाता है. यह उस उत्पाद की गुणवत्ता और विशेषता को दर्शाता है. भारत में जीआई टैग वस्तु (पंजीकरण और संरक्षण) एक्ट, 1999 के अनुसार जारी किए जाते हैं, जो कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है. यह भी पढ़ें : Vocal For Local: वाराणसी के विशेष परिधानों की विदेशों में धूम, योगी सरकार की पहल से चमकी कारीगरों की किस्मत

कृषि एवं निर्माण से जुड़े उत्पादों, खाद्य सामग्रियों, हैंडीक्राफ्ट्स इत्यादि को जीआई टैग दिया जाता है. जीआई टैग मिलने से होता है यह लाभ जीआई टैग किसी क्षेत्र विशेष के उत्पादन को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है. यह किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित होने वाली वस्तुओं का महत्व बढ़ा देता है. इससे स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलती है,जिससे निर्यात बढ़ता है. परम्परागत ज्ञान को संवर्धित और संरक्षित करने में भी जीआई टैग का बड़ा महत्व है.