Uttarkashi Tunnel Rescue: 12 नवंबर को उत्तराखंड के उत्तरकाशी के टनल में भूस्खलन हुई, जिसकी वजह से 41 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. मजदूरों को निकालने के लिए 8 दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान कई दिक्कतें भी सामने आई. भारत के दूसरे राज्यों और विदेश से भारी ड्रिलिंग मशीन मंगाई गई है , जिसके जरिए राहत एवं बचाव कार्य जारी है. मलबा लगातार हटाया जा रहा है. सुरंग के मुख्य द्वार पर बने एक मंदिर में प्रार्थना की जा रही है, जहां फंसे हुए पीड़ितों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान चल रहा है.
शनिवार को सिलक्यारा पहुंची प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की टीम ने बचाव अभियान की कमान अपने हाथ में ले ली. सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने में हो रही देरी से उनके स्वजन व अन्य श्रमिकों का सब्र अब टूटने लगा है. Uttarakhand: सुरंग में फंसे कर्मियों को बचाने के विकल्प तलाशने के लिए हाई लेवल मीटिंग, रेस्क्यू को लेकर 5 ऑप्शन पर किया गया विचार
बौखनाग सिलक्यारा क्षेत्र के प्रमुख देवता हैं, इसलिए रेस्क्यू अभियान के दौरान हर दिन कंपनी की ओर से सुरंग के अंदर बौखनाग देवता की पूजा-अर्चना की जा रही है. पोलगांव (बड़कोट) की ओर सुरंग के प्रवेश द्वार के पास बौखनाग देवता का मंदिर स्थापित किया गया है.
#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel incident | Prayers being offered at a temple that has been built at the main entrance of the tunnel where rescue operations to bring out the stranded victims are underway.
A part of the Silkyara tunnel collapsed in Uttarkashi on November… pic.twitter.com/gEiurfNVtQ
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 19, 2023
एक स्थान सिलक्यारा की तरफ बने सुरंग के मुहाने से करीब 500 मीटर दूर है. यहां से श्रमिकों तक पहुंचने के लिए करीब 103 मीटर वर्टिकल बोरिंग करनी पड़ेगी। इसके लिए पहले एक किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जा रही है, जिससे ड्रिलिंग मशीन को बोरिंग के लिए चिह्नित स्थान तक पहुंचाया जाएगा.