Uttarakhand: जोशीमठ की भांति पैनगढ़ के लोग भी शरणार्थी की तरह रहने को मजबूर
House in Joshimath (Photo: Twitter)

पैनगढ़ गांव (उत्तराखंड), 22 फरवरी: जोशीमठ की तरह ही चमोली जिले के पैनगढ़ गांव के लोग भी भूस्खलन और दरारों के कारण पिछले कई माह से अपने मकानों को छोडकर शरणार्थी का जीवन जीने को मजबूर हैं. कर्णप्रयाग-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर थराली के पास पिण्डर नदी के बाएं तट पर पुरानी बसावटों में शामिल पैनगढ़ गांव के 40 से अधिक परिवार बेघर हैं और अन्यत्र शरण लिए हुए हैं. गांव में कुल 90 परिवार हैं, जो पीढियों से वहां रह रहे हैं. Uttarakhand: जोशीमठ की स्थिति से घबराए पिथौरागढ़ के निवासी, बिजली परियोजना का कर रहे विरोध. 

गांव पर खतरे की शुरुआत तो 2013 में आई केदारनाथ आपदा के समय से ही हो गयी थी, लेकिन अक्टूबर 2021 में इसने खतरनाक रूप ले लिया. गांव के गोपालदत्त ने बताया, ‘‘अक्टूबर 2021 में गांव के ठीक ऊपर स्थित चोटी से शुरू होने वाले चीड़ के जंगल से पहले पड़ने वाले खेतों में दरारें उभर आयीं. जंगल तक पहुंच गयी ये दरारें शुरुआत में छोटी थीं ,लेकिन साल भर में जमीन में दरारों के साथ गढ्ढे भी बन गए और इसने आपदा का रूप ले लिया.’’

उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर 2022 की रात दरारों वाले इलाके की धरती खिसकी जहां से बड़े-बड़े बोल्डर फिसल कर उनके गांव पर गिरने लगे जिससे कई मकान ध्वस्त हो गए. उन्होंने बताया कि इन्हीं ध्वस्त मकानों में दबकर चार व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी.

मलबे की चपेट में पैनगढ़ का आधा हिस्सा आ चुका है और चार महीने पहले हुए हादसे के बाद खतरे वाले इस हिस्से में रह रहे गांव के 40 परिवार अपने घरों को छोड़कर अन्यत्र शरण लिए हुए हैं.

घरों को छोडने को मजबूर राजेंद्र राम और नारायण दत्त ने बताया कि कुछ परिवारों ने गांव के स्कूल में जबकि कुछ ने अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ले रखी है.

हादसे के बाद से गांव का एकमात्र राजकीय प्राथमिक विद्यालय राहत शिविर में बदल गया है, जिसके कारण उसका संचालन लगभग एक किलोमीटर दूर जूनियर हाईस्कूल भवन से हो रहा है. पांच से ग्यारह साल की उम्र के बच्चे अब शिक्षा ग्रहण करने के लिए एक किलोमीटर पैदल चल कर जाते हैं, जिसके लिए उन्हें रास्ते में एक छोटी नदी भी पार करनी होती है.

थराली विकास खंड के खंड शिक्षा अधिकारी आदर्श कुमार ने 'पीटीआई-' को बताया कि इस भवन से फिर से विद्यालय संचालित करने के बारे में फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है और जिला प्रशासन की ओर से गांव के पुनर्वास को लेकर कोई नीति तय होने के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है.

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