UCC in Uttarakhand: CM धामी को आज यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट सौंपेगी कमेटी, 6 फरवरी को सदन में बिल पास कराएगी सरकार
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कल होने वाली कैबिनेट बैठक में यूसीसी ड्राफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी मिलने के बाद इसे 6 फरवरी को विधानसभा में पेश किया जाएगा.
देहरादून: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) का ड्राफ्ट तैयार करने वाली विशेषज्ञ समिति शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को सौंप देगी. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कल होने वाली कैबिनेट बैठक में यूसीसी ड्राफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी मिलने के बाद इसे 6 फरवरी को विधानसभा में पेश किया जाएगा. यूसीसी पर विधेयक पारित कराने के लिए पांच फरवरी से उत्तराखंड राज्य विधानसभा का चार दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है. विधानसभा में विधेयक के रूप में पेश करने से पहले मसौदे पर राज्य मंत्रिमंडल में चर्चा भी की जाएगी. झारखंड: आखिर क्यों नहीं दोहराई जा सकी ‘राबड़ी देवी’ की कहानी.
यूसीसी पर अधिनियम बनाना और उसे प्रदेश में लागू करना 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में से एक था. वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर बीजेपी ने एक इतिहास रचा था और मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके द्वारा व्यक्त किए गए इस संकल्प को जनता ने अपना आशीर्वाद दिया है .
मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी गयी थी. बाद में उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था.
आजादी के बाद UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य
उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा. गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है. यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए एकसमान विवाह, तलाक, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के कानून लागू होंगे चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों.
सेवानिवृत्त न्यायाधीश देसाई के अलावा यूसीसी विशेषज्ञ समिति में सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की उप कुलपति सुरेखा डंगवाल भी शामिल हैं.
इस समिति को कुल चार विस्तार भी दिए गए जिसमें से अंतिम बार इसे जनवरी में 15 दिनों के लिए दिया गया. समिति को अपने करीब दो साल के कार्यकाल के दौरान 2.33 लाख लिखित सुझाव मिले तथा उसकी 60 बैठकों में सदस्यों ने करीब साठ हजार लोगों से बातचीत की.