उत्तराखंड के CM तीरथ सिंह रावत ने Societal Breakdown के लिए फटी जींस को ठहराया जिम्मेदार, कहा- पश्चिमी देश हमारी संस्कृति का कर रहे है अनुसरण और हम नग्नता के पीछे भागने में व्यस्त
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मंगलवार को युवाओं के बीच सोसाइटल ब्रेकडाउन और ड्रग्स के खतरे के लिए रिप्ड जीन्स यानी फटी जीन्स को जिम्मेदार ठहराया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि पश्चिमी देश जहां हमारा अनुसरण कर रहे हैं, वहीं हम नग्नता के पीछे भागने में व्यस्त हैं.
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री (Uttarakhand Chief Minister) तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) ने मंगलवार को युवाओं के बीच सोसाइटल ब्रेकडाउन (Societal Breakdown) और ड्रग्स (Drugs) के खतरे के लिए रिप्ड जीन्स यानी फटी जीन्स (Ripped Jeans) को जिम्मेदार ठहराया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि पश्चिमी देश (Western Countries) जहां हमारा अनुसरण कर रहे हैं, वहीं हम नग्नता (Nudity) के पीछे भागने में व्यस्त हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड राज्य आयोग द्वारा बाल अधिकारों को संरक्षण के लिए मादक पदार्थों के दुरुपयोग पर दो दिवसीय वर्कशॉप के उद्घाटन के दौरान सीएम तीरथ सिंह रावत ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया. अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि एक महिला को कटी-फटी जीन्स पहने देख वो काफी चौंक गए थे.
युवाओं में बढ़ते पश्चिमीकरण के लिए उनके माता-पिता को जिम्मेदार ठहराते हुए सीएम रावत ने कहा कि अब बच्चों को नग्न घुटने दिखाते हुए फटी डेनिम जीन्स पहनने और अमीर बच्चों की तरह दिखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. यह सब घर से नहीं आ रहा है तो कहां से आ रहा है? क्या यह शिक्षकों या स्कूलों की गलती है? मैं अपने बेटे को किस तरफ ले जा रहा हूं, फटी जीन्स पहनाकर उसके घुटनों को दिखाते हुए? इस मामले में लड़कियां भी पीछे नहीं हैं, वो भी रिप्ड जीन्स पहनकर अपने घुटने दिखा रही हैं. क्या यह अच्छा है? यह भी पढ़ें: Uttarakhand: सीएम तीरथ सिंह रावत का बड़ा बयान, कहा- आने वाले समय में पीएम मोदी की पूजा भगवान की तरह होगी
रावत ने आगे कहा कि भारतीय पश्चिमीकरण की दौड़ में नग्नता की ओर भागने में व्यस्त हैं, जबकि पश्चिमी देश हमारा अनुसरण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एनजीओ चलाने वाली एक महिला को वो फटी जीन्स में देखकर चौंक गए. उनका कहना है कि अगर इस तरह से महिला लोगों से मिलने और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए समाज में जाती है, तो जरा सोचिए हम समाज और हमारे बच्चों के लिए किस तरह का संदेश दे रहे हैं? यह सब घर से शुरू होता है. हम जो करते हैं हमारे बच्चे भी उसी का अनुसरण करते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को हिंदी में पढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि अंग्रेजी मीडियम से पढ़ने पर ही हर कोई जीवन में सफल हो सकता है. मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं, जिन्होंने हिंदी मीडियम से पढ़ाई की है. मैंने यूपी, दिल्ली और उत्तराखंड देखा है, जहां सबसे ज्यादा आईएएस अधिकारी और नौकरशाह ऐसे हैं जो हिंदी मीडियम से पढ़कर यहां तक पहुंचे हैं.