देहरादून, 7 मार्च : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवारवाद पर हमले के बाद उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गुरुवार को एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि वो इस बार लोक सभा का चुनाव नहीं लड़ेगे. उन्होंने अपने बेटे को टिकट देने की मंशा जताई है. इसके बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई.
लोकसभा चुनाव को लेकर जहां बीजेपी ने उत्तराखंड की 5 सीटों में से 3 पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है, वहीं अभी तक कांग्रेस पार्टी ने एक भी नाम फाइनल नहीं किया है. इसी कशमकश के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने अपने बेटे वीरेन्द्र रावत के लिए हरिद्वार से टिकट देने की पैरवी की है. यह भी पढ़ें : Electoral Bond Case: सुप्रीम कोर्ट में याचिका में SBI के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग
वीरेंद्र रावत पहले से ही खानपुर विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं. लेकिन अब उनके होर्डिंग-पोस्टर पूरे लोकसभा क्षेत्र में नजर आने से इसे लोकसभा की दावेदारी के रूप में देखा जा रहा है. हरीश रावत ने कहा, "चुनाव लड़ने की राजनीति से बाहर निकलना चाहता हूं. यही अवसर है चुनाव लड़ने की राजनीति से बाहर आने का. यदि चुनाव लड़ा तो अगले 10 साल तक चुनाव लड़ने की राजनीति में फंसा रहूंगा."
वहीं हरीश रावत ने हरिद्वार से अपने बेटे वीरेंद्र रावत के लिए टिकट की पैरवी की है. बेटा कांग्रेस में प्रदेश उपाध्यक्ष है. उन्होंने कहा कि पार्टी यदि मेरे संबंधों का, मेरे नाम का, मेरे काम का उपयोग कर पाएगी तो मेरा बेटा उसे बेहतर तरीके से कर पाएगा. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में लगातार परिवारवाद पर हमला कर रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस सहित देश की दूसरी पार्टियों में परिवारवाद पर हमला किया है.