उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) एमएसएमई (MSME) सेक्टर में नई दास्तान लिख रहा है. राज्य ने इस साल छोटे उद्योगों से बड़ा लक्ष्य साधा है. वह भी तब जब कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण देशभर में आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थीं. ऐसे समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वर्कप्लान के चलते बीते सितंबर तक 13,46,905 एमएसएमई इकाइयों को 326.12 करोड़ रुपए का लोन दिया गया. यानि कि सरकार की पहल से 13,46,905 लोगों को राज्य में अपना कारोबार शुरू किया. सरकार और बैंकों के आंकड़े यह भी बताते हैं कि सूबे की सत्ता संभालने के बाद से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में निवेश बढ़ाने और लघु मध्यम और सूक्ष्म उद्योगों में लोगों को रोजगार मुहैया कराने पर ध्यान केंद्रित किया.
लघु मध्यम और सूक्ष्म उद्योग (एमएसएमई) में तो योगी सरकार के पौने चार वर्षों का रिजल्ट अखिलेश सरकार के कार्यकाल से बेहतर आया है. यह आंकड़े बताते हैं कि योगी सरकार ने पौने चार वर्षों में बीते 20 सितंबर तक एक लाख 84 हजार चार करोड़ रुपये एमएसएमई सेक्टर को लोन मुहैया कराया, जो कि अखिलेश सरकार द्वारा इस सेक्टर को मुहैया कराए गए लोन से अधिक है. योगी सरकार द्वारा एमएसएमई सेक्टर को मुहैया कराए गए इस लोन के चलते करीब 49 लाख एमएसएमई इकाइयों का कारोबार तेजी पकड़ सका और राज्य में करीब ढ़ाई करोड़ से ज्यादा रोजगार मिला. यह भी पढ़े: उत्तर प्रदेश: चौरी चौरा शताब्दी समारोह को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की राज्यपाल के साथ बैठक, आयोजन पर हुई चर्चा
सरकारी आंकड़े बताते हैं, सूबे की योगी सरकार में वर्ष 2017-18 में एमएसएमई सेक्टर में 787572 इकाइयों को 411.93 करोड़, वर्ष 2018-19 में 1024265 इकाइयों को 477.64 करोड़, वर्ष 2019-20 में 1745472 इकाइयों को 628.31 करोड़ और वर्ष 2020-21 में बीते सिंतबर तक 1346905 इकाइयों को 326.12 करोड़ रुपए लोन दिया गया. जबकि अखिलेश सरकार के दौरान एमएसएमई सेक्टर में वर्ष 2012-13 में 132.48 करोड़, वर्ष 2013-14 में 192.48 करोड़, वर्ष 2014-15 में 224.39 करोड़, वर्ष 2015-16 में 229.96 करोड़ और वर्ष 2016-17 में 272.02 करोड़ रुपये के लोन दिए गए. एमएसएमई सेक्टर में अखिलेश सरकार से अधिक लोन देने के चलते देश में यूपी की पहचान निखरी है और भारत सरकार ने भी माना कि राज्य में एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने का शानदार प्रयास हुआ है. यह भी पढ़े: हॉलीवुड को टक्कर देने वाली होगी सीएम योगी आदित्यनाथ की नोएडा फिल्म सिटी, अमेरिकी कंपनी ने बनाया मास्टर प्लान
मुख्यमंत्री सूबे की सत्ता संभालने के बाद से ही एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने की नीति पर चल रहे हैं. कोरोना संकट के दौरान बीते मई में जब बड़ी संख्या में अन्य प्रदेशों से मजदूरों और अन्य लोग यूपी लौट रहे थे तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इनके लिए राज्य में ही रोजगार के अवसर प्रदान करने का निर्देश अधिकारियों को दिया था है. मुख्यमंत्री से मिले निर्देश के बाद अधिकारी एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने में जुट गए. जिसके चलते पहले चरण में पांच लाख लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के जरिए काम-धंधे में लगाने की तैयारी की गई. बाहर से यूपी आने वाले कुशल कामगारों को उनकी रुचि के हिसाब से ट्रेड का प्रशिक्षण दिलाया गया. कच्चे माल के लिए रॉ मटीरियल बैंक की स्थापना की गई. यह भी पढ़े: Uttar Pradesh: यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसान कल्याण मिशन का किया शुभारंभ
लघु मध्यम और सूक्ष्म उद्योग संचालकों को सरकार ने उनके उद्योगों के लिए कच्चे माल की व्यवस्था की. मजदूरों को इन्हीं छोटे उद्योगों में रुकने का इंतजाम किया गया. नतीजा यह हुआ कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर के कारोबार में तेजी आ गई और इस साल बीते सितंबर तक 13,46,905 एमएसएमई इकाइयों को 326.12 करोड़ रुपए का लोन दिया गया. यानि कि सरकार की पहल से 13,46,905 लोगों को राज्य में अपना कारोबार शुरू किया.
एमएसएमई के अपर मुख्यसचिव नवनीत सहगल का कहना है कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनरूप एमएसएमई सेक्टर से अधिक रोजगार देने के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं. इस दिशा में लगातार हम आगे बढ़ रहे हैं.