लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बरेली शहर की एक आवासीय कॉलोनी में चंद दिन में एक साथ गलियों में घूमने वाले कई कुत्तों की मौत से हड़कंप मचा हुआ है. आसपास के लोग इसे 'कोविड-19' संक्रमण का परिणाम समझ कर सकते में आ गये हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान विशेषज्ञों और पशु चिकित्सा विशेषज्ञों ने इन स्ट्रीट डॉग्स की अचानक हुई मौंतो पर चिंतित न होने की बात कही है. उनके मुताबिक, "कुत्तों की मौत के पीछे कोविड-19 जैसी कोई वजह हाल-फिलहाल तो नजर नहीं आ रही है." पशु चिकित्सा विशेषज्ञ इन कुत्तों की मौत के पीछे दूसरी प्रमुख वजह, मौसम में बढ़ते तापमान के चलते रेबीज फैलने की आशंका से भी इंकार नहीं करते है.
स्थानीय निवासी और महात्मा गांधी हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रधानाचार्य विवेक कुमार सिंह ने फोन पर बातचीत में आईएएनएस से कहा, "इलाके में एक दो स्ट्रीट डॉग की डैथ शुरूआत में हुई. तब यह सामान्य सी बात लगी. करीब 20 साल पुरानी बसी अंबिका आवास कालोनी में देखते-देखते एक के बाद एक स्ट्रीट डॉग मरने लगे.जिन लोगों ने गलियों में घूमने वाले कुत्तों को मरते देखा, उन सबका एक सा ही कथन था.
बरेली शहर के मशहूर कर्मचारी नगर मिनी वाईपास रोड पर स्थित इस कालोनी की रहने वाली महिला सरोजनी श्रीवास्तव ने आईएएनएस से कहा, "कुत्तों के मुंह से झाग सा टपक रहा था. कई कुत्तों में लार गिर रही थी. मैं समझी कुत्ते गर्मी से मर रहे हैं. अंबिका आवासीय कालोनी में कई साल से सफाई करने आने वाली महिला कर्मी के पति और घटना के चश्मदीद रवि कुमार के मुताबिक, "जितने भी कुत्ते मरे, वे सब बुरी तरह हांफते हुए दिखाई दे रहे थे। एक कुत्ता 100-150 मीटर की दूरी से झुंझलाता हुआ आया. उसे देखने से लग रहा था मानो वो झुंझलाहट में अपना सिर किसी चीज से पटकने को व्याकुल हो.
कुछ देर तक वह सड़क किनारे की झाड़ियों में पड़ा तड़फता रहा. उसके बाद उसकी मौत हो गयी.कमोबेश इसी तरह कई कुत्तों की मौत का डरावना आलम कालोनी में रहने वाली लता तिवारी, वैभव गंगवार और रामानुज दीक्षित ने देखा। इन सबने भी आईएएनएस को मरने वाले कुत्तों की अंतिम समय में एक सी ही बेचैनी का आलम बयान किया.स्थानीय निवासियों और एक के बाद एक गली के कुत्तों को मरते देखने वालों में से अधिकांश का कहना था कि, मरने वाला हर कुत्ता ऐसे दिखाई दे रहा था जैसे, उसे अपने सिर पर कई गुना ज्यादा किसी गरम चीज के होने का अहसास हो रहा है. कुछ देर तक यह कुत्ते बुरी तरह इधर-उधर गलियों में तेज-तेज दौड़ते फिरते रहे.
कुछ घंटों बाद देखा तो स्थानीय निवासियों को कुत्ते का शव आसपास ही पड़ा मिल जाता. अंबिका आवास कालोनी के अनजान निवासी एक के बाद एक कुत्तों की हो रही एक सी मौत को कोविड-19 के संक्रमण की परिणति मान बैठे. लिहाजा पहले से ही स्थानीय प्रशासन के आदेश पर घरों में बंद लोग कुत्तों की मौत से और डर गये। स्थानीय लोगों को लगने लगा कि, कहीं ऐसा न हो हम सब सोशल डिस्टेंसिंग अमल में लाकर कोविड-19 से संक्रमित होने से तो बच जायें, मगर इन कुत्तों से होने वाले संक्रमण की मुसीबत कहीं गले न पड़ जाये। लिहाजा थोड़ी-बहुत देर को सुबह शाम अपने-अपने किचिन-गार्डन में निकल आने वाले लोगों ने कमरों से बाहर आना तक बंद कर दिया.
एक साथ एक शहर की किसी कालोनी में 10 से ज्यादा कुत्तों की इस रहस्यमयी मौत के बारे में आईएएनएस ने सोमवार को फोन पर बरेली के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. ललित वर्मा से बात की। डॉ. वर्मा के मुताबिक, "अभी तक दुनिया की किसी भी रिसर्च में जानवरों में कोविड-19 के संक्रमण के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं. लिहाजा ऐसे में यह आशंका निर्मूल मानकर चलिये कि, इन कुत्तों की मौत के पीछे कोविड-19 वायरस वजह हो सकता है। चूंकि अब तापमान में वृद्धि हो रही है। साथ ही अंबिका आवास कालोनी में मरने वाले स्ट्रीट डॉग्स के मामले में संभव है कि, इन डॉग्स का सालाना वैक्सिनेशन (टीकाकरण) न हो सका हो.
नियमानुसार स्ट्रीट डॉग्स को रेबीज जैसे घातक संक्रमण से बचाने के लिए सालाना इनका टीकाकरण होना चाहिए. मुख्य जिला पशु अधिकारी डॉ. ललित वर्मा ने आगे कहा, "हो सकता है कि बढ़ते तापमान में जैसा कि अमूमन होता है, इन कुत्तों में रेबीज वायरस संक्रमित हो गया हो. जिन लक्षणों की जद में आकर इन कुत्तों की मौत हुई है, उनसे प्रतीत होता है कि, इनकी मौत रेबीज संक्रमण के चलते हुई होगी. इस सनसनीखेज मामले में आईएएनएस ने फोन पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र (आईवीआरआई) इज्जत नगर बरेली के निदेशक डॉ. राजकुमार सिंह से बात की.
उन्होंने कहा, "मेरे पास इनमें से किसी भी डॉग की डेडबाडी पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं लाई गयी. ऐसे में इन कुत्तों की मौत को लेकर मेरे संज्ञान में भी कोई बात नहीं है। वैसे भी कोविड-19 को लेकर अभी तक जो भी रिसर्च सामने आयी हैं, उनमें भी जानवरों से कोविड-19 वायरस का लिंक अभी तक कनेक्ट नहीं हुआ है. डॉ. राजकुमार सिंह ने आईएएनएस से आगे कहा, "संभव है कि, जिस तरह एक के बाद एक और समान लक्षणों में इन स्ट्रीट डॉग्स की मौत हुई है, वे टॉक्सीसिटी के शिकार हुए हों,ऐसे में डॉग्स के ब्रेन में ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहद कम हो जाती है। दबाव अचानक मस्तिष्क पर पड़ना शुरू हो जाता है। आशंका यह भी है कि, इन कुत्तों की इसी वजह से इन लक्षणों में मौत हुई हो. हालांकि ऐसी संदिग्ध मौतों के मामले में पोस्टमॉर्टम से ही सही तथ्यों की तस्दीक हो सकती है. "