Use of Banned Oxytocin Delhi Dairies: सावधान! अब घर आने वाला दूध भी सुरक्षित नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

क्या आप जानते हैं कि जो दूध आप पीते हैं वह कितना सुरक्षित है? ये सवाल फिलहाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि इस दूध को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक रिपोर्ट दाखिल की गई है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली में सप्लाई होने वाले दूध में ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

प्रतीकात्मत तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

Use of Banned Oxytocin Delhi Dairies: सुबह की चाय से लेकर रात के खाने तक दूध (Milk) हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो दूध आप पीते हैं वह कितना सुरक्षित है? ये सवाल फिलहाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि इस दूध को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में एक रिपोर्ट दाखिल की गई है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली में सप्लाई होने वाले दूध में ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस दवा पर केंद्र सरकार ने 2018 में प्रतिबंध लगा दिया था. ऑक्सीटोसिन का उपयोग अब पशुओं में दूध उत्पादन (Milk Production) बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.

सरकार का कहना है कि जानवरों के दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए इस दवा का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिससे जानवरों के साथ-साथ दूध पीने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने अधिकारियों को राजधानी में गाय-भैंस पालने वाली डेयरियों में ऑक्सीटोसिन के दुरुपयोग के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि जानवरों को हार्मोन संबंधी दवाएं देना पशु क्रूरता और अपराध है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार के औषधि नियंत्रण विभाग को साप्ताहिक निरीक्षण करने और मामला दर्ज करने को कहा है. अब पुलिस इसकी जांच करेगी. अदालत ने दिल्ली पुलिस की खुफिया शाखा से ऑक्सीटोसिन के उत्पादन, पैकेजिंग और वितरण के स्रोतों की पहचान करने को कहा है, साथ ही इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने को भी कहा गया है. यह भी पढ़ें: सावधान! आपके दूध में मिला है जहर? जमकर हो रहा ऑक्सीटोसिन का दुरुपयोग, HC ने दिए कार्रवाई के आदेश

राष्ट्रीय राजधानी में डेयरी फार्मों की दुर्दशा के संबंध में सुनीना सिब्बल और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह आदेश पारित किया. कोर्ट ने कहा कि चूंकि जानवरों को ऑक्सीटोसिन देना जानवरों के प्रति क्रूरता है, इसलिए यह एक संज्ञेय अपराध है.

नतीजतन, अदालत ने औषधि नियंत्रण विभाग, जीएनसीटीडी को नकली ऑक्सीटोसिन के उपयोग या कब्जे के सभी मामलों को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 12 और औषधि व प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 18 (ए) के तहत दर्ज करने का निर्देश दिया.

इस बीच, केवल एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (केएपीएल) को वर्तमान में पूरे देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऑक्सीटोसिन का निर्माण करने की अनुमति है. दूध में ऑक्सीटोसिन का प्रयोग एक गंभीर समस्या है और हमें इसके प्रति सचेत रहने की जरूरत है, इसलिए दूध खरीदते समय सावधानी बरतें और केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही दूध खरीदें.

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