आगरा के 37 वर्षीय एक व्यक्ति को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत आठ माह जेल में रहे एक शख्स को बरी कर दिया गया है. अंकित गुप्ता, एक खाद्य उत्पाद फर्म के लिए सेल्समैन के रूप में काम करता था, को जमानत मिलने से पहले आठ महीने जेल में बिताने पड़े. उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं था. दो साल की सुनवाई के दौरान, पुलिस अदालत के सामने उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पेश कर सकी. UP: लखनऊ के डॉक्टरों ने दिल की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित महिला का किया सफल ऑपरेशन.
चार्जशीट में, पुलिस ने दावा किया कि उसकी कार से 74.9 किलोग्राम वजन वाले मारिजुआना के 35 पैकेट बरामद किए गए. अंकित ने शनिवार को पत्रकारों को बताया कि 12 मार्च 2021 को उन्होंने अपनी शादी की सालगिरह पर घर पर एक पार्टी रखी थी. उनकी कार बाहर खड़ी थी. उन्होंने कहा, दो पुलिसकर्मी मेरे घर में घुस आए और मुझे गालियां देते हुए कार हटाने को कहा.
सिविल ड्रेस में आए पुलिसकर्मियों से अंकित की हल्की बहस हुई. जल्द ही, वर्दी में तीन और पुलिसकर्मी आए और अंकित को उठा ले गए. अगले दिन, एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया. सब इंस्पेक्टर विपिन कुमार की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई है.
अंकित ने कहा, पुलिसकर्मी मुझे कई जगहों पर ले गए. मुझे पीटा गया. उन्होंने धमकी दी कि अगर मैंने उन्हें 3 लाख रुपये नहीं दिए, तो मुझे जेल भेज देंगे. पैसे का इंतजाम करने में असमर्थ होने पर मुझ पर एक फर्जी मामला दर्ज किया गया. बचाव पक्ष के वकील विनय गौड़ ने कहा, पुलिस ने एक निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ एक फर्जी मामला तैयार किया. अभियोजन पक्ष कोई सार्वजनिक गवाह पेश करने में सक्षम नहीं था. गौड़ ने कहा, पुलिस ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत अनिवार्य कानूनी प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया.