
Uniform Civil Code: उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के तहत विवाह पंजीकरण (Marriage Registration) के लिए नियम बना दिए हैं. इन नियमों का उद्देश्य वैवाहिक प्रक्रियाओं को सरल और व्यवस्थित करना है, साथ ही व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक समरसता को बनाए रखना है. उत्तराखंड सरकार ने सोमवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मैनुअल (नियमावली) को मंजूरी दे दी. इसके बाद उम्मीद की जा रही है कि यूसीसी का अंतिम नोटिफिकेशन इसी महीने जारी हो सकता है.
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है कि सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक ही कानून होना. अगर किसी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक से कानून होगा. उत्तराखंड आजादी के बाद यह कानून लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है.
जानें इस कानून के बारे में विस्तार से
कहां लागू होगा?
यह कानून पूरे उत्तराखंड राज्य में लागू होगा और उन लोगों पर भी लागू होगा, जो राज्य के बाहर रह रहे हैं लेकिन उत्तराखंड के निवासी हैं.
कौन इससे बाहर हैं?
अनुसूचित जनजातियां (Scheduled Tribes), जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 और 366 (25) के तहत अधिसूचित किया गया है. संविधान के भाग XXI के तहत संरक्षित व्यक्तियों और समुदायों को इस कानून से बाहर रखा गया है.
विवाह के लिए क्या हैं नियम?
UCC के तहत केवल उन लोगों के बीच विवाह हो सकता है, जिनमें से किसी का जीवित जीवनसाथी न हो, दोनों ही कानूनी अनुमति देने के लिए मानसिक रूप से सक्षम हों, पुरुष की आयु कम से कम 21 वर्ष तथा महिला की आयु 18 वर्ष पूरी हो चुकी हो और दोनों पक्षों के बीच कोई प्रतिबंधित संबंध नहीं होना चाहिए.
मैरिज रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
कानून लागू होने के बाद होने वाले सभी विवाहों का रजिस्ट्रेशन 60 दिनों के भीतर अनिवार्य है. 26 मार्च 2010 से लेकर कानून लागू होने तक हुए विवाहों का रजिस्ट्रेशन 6 महीने के भीतर किया जाना होगा. पहले से रजिस्टर्ड विवाहों को फिर से रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन उन्हें अभिस्वीकृति (Acknowledgement) देनी होगी.
26 मार्च 2010 से पहले या उत्तराखंड के बाहर हुए विवाह, यदि वे सभी पात्रता शर्तें पूरी करते हैं, तो वे भी (हालांकि यह अनिवार्य नहीं है) 6 महीने के भीतर रजिस्टर्ड हो सकते हैं.
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया:
- विवाह रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से किया जा सकेगा.
- आवेदन मिलने के बाद उप-पंजीयक को 15 दिनों के भीतर निर्णय लेना होगा.
- यदि तय समय सीमा में कोई निर्णय नहीं लिया जाता, तो आवेदन स्वचालित रूप से रजिस्ट्रार के पास भेज दिया जाएगा.
- अस्वीकृत आवेदन पर पारदर्शी अपील प्रक्रिया भी उपलब्ध है.
गलत जानकारी देने पर दंड
यदि कोई विवाह पंजीकरण के लिए गलत जानकारी देता है, तो उस पर दंड लगाया जाएगा. यह स्पष्ट किया गया है कि पंजीकरण न होने के बावजूद विवाह को अवैध नहीं माना जाएगा.
उत्तराखंड सरकार का कहना है कि यह कानून न केवल वैवाहिक प्रक्रियाओं को सरल बनाएगा, बल्कि व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा और समाज में समानता सुनिश्चित करने में भी मदद करेगा.
यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत लागू यह नियम उत्तराखंड को सामाजिक और कानूनी सुधार के क्षेत्र में नई पहचान दिलाने वाला कदम है.