लोकसभा चुनाव 2019: आग से जुड़े हादसे से हर दिन मरते है 16 लोग, फिर भी यह चुनावी एजेंडा से गायब
आग से होने वाली दुर्घटना में हर दिन 16 लोगों की मौत हो रही है. वहीं, इससे सालाना 18 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, फिर भी सरकारें इस पर चुप क्यों हैं.
नई दिल्ली: आग से होने वाली दुर्घटना में हर दिन 16 लोगों की मौत हो रही है. वहीं, इससे सालाना 18 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, फिर भी सरकारें इस पर चुप क्यों हैं.
नई दिल्ली: केंद्र में नई सरकार के एजेंडे में आग को एक महत्वपूर्ण विषय के तौर देखे जाने की मांग करते हुए युनाइटेड ह्यूमन राइट्स फेडरेशन (यूएचआरएफ) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखते हुए कहा है कि आग से होने वाली दुर्घटना में हर दिन 16 लोगों की मौत हो रही है. वहीं, इससे सालाना 18 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, फिर भी सरकारें इस पर चुप क्यों हैं.
यूएचआरएफ के सचिव अरुण पाल ने कहा, "हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर मांग की है कि वे अपने चुनावी भाषणों में यह भी बताएं कि केंद्र में बनने वाली नई सरकार आगजनी की दुर्घटनाओं से बचाव और आग से सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाएगी."
उन्होंने कहा कि यह दुख की बात है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी किसी सरकार ने आग से बचाव के लिए कड़े नियम नहीं बनाए. उन्होंने कहा, "हमने दोनों प्रमुख दलों को लिखा है कि वे आग से बचाव, जीवन रक्षा और आग से सुरक्षा को लेकर कानून बनाने का ऐलान अपने घोषणा पत्रों में करें. जब तक इस ओर कदम नहीं उठाया जाएगा तब तक भारत की विकास यात्रा में अवरोध बना रहेगा."
यूएचआरएफ ने कहा, "आग से बचाव के लिए कानून और समुचित कदम समय की जरूरत है. मौजूदा नियमों की अवेहलना आग की घटनाओं की मुख्य वजह है. यह समय की जरूरत है कि आग से बचाव के लिए नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 को पूरी तरह से अनुपालन में लाया जाए. सुप्रीम कोर्ट अपने कई फैसलों में यह बताता रहा है कि देश में पूरी तरह से आग से बचाव के नियमों का पालन नहीं हो रहा है. जिसकी वजह से बड़े स्तर पर दुर्घटनाएं हो रही हैं और इससे जान-माल और संपत्ति का नुकसान भी हो रहा है. ऐसे में जरूरत है कि आग से बचाव के नियमों का सही से अनुपालन हो."
यूएचआरएफ के सचिव अरुण पाल ने कहा कि आग की दुर्घटनाओं की वजह से देश को हर साल करीब 18,000 करोड़ रुपये का नुकसान भी हो रहा है.