UGC Final Exam Case: फाइनल ईयर एग्जाम पर SC का फैसला, कहा- बिना परीक्षाओं के स्टूडेंट्स को प्रमोट नहीं किया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट (File Photo)

नई दिल्ली: देशभर के कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में फाइनल ईयर एग्जाम (Final Year Exam) होंगे या नहीं, इसको लेकर कंफ्यूजन खत्म हो गया है. फाइनल ईयर एग्जाम को लेकर यूजीसी के दिशा-निर्देशों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मुहर लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यूजीसी (UGC) की अनुमति के बिना राज्य एग्जाम रद्द नहीं कर सकते हैं. छात्रों को पास करने के लिए एग्जाम जरूरी हैं. फाइनल ईयर एग्जाम्स पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि सभी राज्यों को परीक्षा करानी होगी. पिछले साल या स्मेस्टर के नंबर के आधार पर इस साल छात्रों को पास नहीं किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट में फैसला आर सुभाष रेड्डी के साथ जस्टिस अशोक भूषण और एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राज्यों को 30 सितंबर तक एग्जाम कराने होंगे. अगर कोई राज्य 30 सितंबर की समय सीमा के बाद परीक्षा कराना चाहते हैं, तो UGC की अनुमति लेनी होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के पास छात्रों को बिना परीक्षा के अगली कक्षा में प्रमोट करने या डिग्री देने का अधिकार नहीं है. वे यूजीसी को परीक्षा की तिथि आगे बढ़ाने के लिए कह सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि राज्यों को परीक्षा रद्द करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें बिना परीक्षा लिए प्रमोट करने का नहीं.

फाइनल ईयर एग्जाम पर SC का फैसला:

बता दें कि UGC ने छह जुलाई को देशभर के विश्वविद्यालयों को 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने का निर्देश दिया था. UGC ने कहा था कि अगर परीक्षाएं नहीं हुईं तो छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा.यूजीसी की इस गाइडलाइंस को देश भर के कई छात्रों और संगठनों ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी.

एग्जाम के खिलाफ याचिकाओं में कहा गया था कोरोना महामारी के बीच परीक्षाएं करवाना छात्रों की सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं है. यूजीसी को परीक्षाएं रद्द कर छात्रों के पिछले प्रदर्शन और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परिणाम घोषित करने चाहिए.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि अंतिम वर्ष, डिग्री वर्ष है और परीक्षा को खत्म नहीं किया जा सकता है. मेहता ने जोर देकर कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय और आगे की शिक्षा के लिए डिग्री की आवश्यकता होती है.