Tripura Violence: वकीलों और पत्रकारों के खिलाफ लगाए गए यूएपीए को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को प्रदेश में हाल ही में सांप्रदायिक हिंसा (Communal Violence) के संबंध में कई वकीलों (Lawyers), कार्यकर्ताओं और पत्रकार श्याम मीरा सिंह (Shyam Meera Singh) के सोशल मीडिया (Social Media) पोस्ट पर त्रिपुरा पुलिस (Tripura Police) द्वारा यूएपीए (UAPA) लगाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की. दरअसल पुलिस ने हाल ही में वकीलों, कार्यकर्ताओं और पत्रकार पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) लागू किया था, जिसे अदालत में चुनौती दी गई है. Tripura: टीएमसी के त्रिपुरा में अशांति भड़काने की साजिश के विरोध में बीजेपी ने रैलियां आयोजित की

प्रारंभ में, प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण को मामले में संबंधित उच्च न्यायालय का रुख करने के लिए कहा, लेकिन बाद में इसके लिए सहमत हो गए.

पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और हेमा कोहली भी शामिल थे और वरिष्ठ अधिवक्ता भूषण ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता यूएपीए के कुछ व्यापक रूप से दुरुपयोग किए गए प्रावधानों की संवैधानिक वैधता और 'गैरकानूनी गतिविधियों' की व्यापक परिभाषा को भी चुनौती दे रहे हैं.

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वर्तमान याचिका अक्टूबर, 2021 के दौरान त्रिपुरा में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ लक्षित राजनीतिक हिंसा के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की जा रही है.

हाल ही में, त्रिपुरा पुलिस ने यूएपीए के तहत दंडनीय अपराधों के लिए एक पत्रकार और अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. याचिकाकर्ता मुकेश, अंसारुल हक अंसारी और श्याम मीरा सिंह ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया.

बता दें कि अक्टूबर में दुर्गा पूजा के दौरान और बाद में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का कई समूहों ने रैलियां निकालकर विरोध किया था. इन रैलियों के दौरान घरों, दुकानों और मस्जिदों में कथित तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई थीं. इन घटनाओं पर सोशल मीडिया पोस्ट लिखी गई थीं, जिसमें कथित तौर पर भड़काऊ सामग्री का इस्तेमाल करने पर कई लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे.