राज्यसभा में विपक्ष मजबूत, क्या तीन तलाक बिल पास करा पाएगी मोदी सरकार?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit-PTI)

तीन तलाक (Triple Talaq) बिल गुरुवार को लोकसभा (Lok Sabha) में पास हो गया. अब इस बिल को कानून का रूप लेने के लिए संसद के उच्च सदन राज्यसभा (Rajya Sabha) में पास होना जरूरी है. यह बिल मुस्लिम समुदाय में फौरन लिए जाने वाले तलाक की प्रथा को अपराध की श्रेणी में लाता है. विवादास्पद तीन तलाक बिल को लोकसभा ने गुरुवार को एक चर्चा के बाद साल भर से भी कम समय में दूसरी बार मंजूरी दी. तीन तलाक बिल सोमवार को राज्यसभा में आने की संभावना है. हालांकि राज्यसभा में इस बिल को विपक्षी दलों का कड़ा विरोध झेलना पड़ सकता है.

दरअसल, राज्यसभा में इस बिल का पास कराना सरकार के लिए एक मुश्किल भरा कार्य होने की संभावना है क्योंकि उच्च सदन में उसके पास बहुमत नहीं है. कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों और अन्नाद्रमुक जैसी कुछ क्षेत्रीय पार्टियों ने इस बिल के खिलाफ अपना एतराज जताया है. साथ ही एकजुट विपक्ष इस बिल को आगे जांच के लिए सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग कर रहा है. यह भी पढ़ें- बुलंदशहर हिंसा: बीजेपी विधायक का देवेंद्र सिंह लोधी का बड़ा दावा, इंस्पेक्टर सुबोध ने खुद को मारी थी गोली

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि मैं राज्यसभा की परिपक्वता की सराहना करता हूं. हमारा मानना है कि हम राज्यसभा में इसके पक्ष में समर्थन हासिल कर लेंगे. उन्होंने कहा कि यह बिल राजनीतिक विरोध के लिए नहीं होना चाहिए क्योंकि यह तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं के लिए न्याय की बात करता है.

वहीं, राज्यसभा में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह ने कहा कि वह तीन तलाक बिल का उच्च सदन में समर्थन नहीं करेगी. संजय सिंह ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा से निजात दिलाने के नाम पर मुस्लिम समाज के लोगों को डराने के लिए लाए गए इस बिल का पार्टी विरोध करेगी.

राज्यसभा में अभी एनडीए के पास 93 सदस्य हैं जबकि यूपीए के 112 सदस्य हैं और एक सीट खाली है. वहीं, 39 सांसद ऐसे हैं जिनका यूपीए या एनडीए से संबंध नहीं है. राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं. बिल पास कराने के लिए 123 सदस्यों का समर्थन चाहिए लेकिन एनडीए इस आंकड़े से दूर है.