जयपुर, 23 फरवरी: जयपुर के सरकारी सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल में एक युवक को कथित रूप से गलत समूह (ब्लड ग्रुप) का रक्त चढ़ाने के मामले में तीन चिकित्सकों एवं एक नर्सिंग अधिकारी को विभागीय जांच में दोषी पाया गया है. चिकित्सकों को हटाकर पदस्थापन की प्रतीक्षा में रखा गया है जबकि नर्सिंग अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है.
विभाग के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी. मरीज की शुक्रवार को मौत हो गई. एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ अचल शर्मा ने कहा,‘‘मरीज की आज इलाज के दौरान मौत हो गई. मौत का कारण स्पष्ट नहीं है क्योंकि परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया है. शव को अस्पताल के मुर्दाघर में रखा गया है.’’
अतिरिक्त मुख्य सचिव (चिकित्सा शिक्षा) शुभ्रा सिंह की ओर से जारी एक आदेश के अनुसार सवाई मानसिंह अस्पताल में मरीज सचिन शर्मा को गलत ग्रुप का रक्त चढ़ाने के प्रकरण में जांच समिति ने अस्थि रोग विभाग के सह आचार्य डॉ एस के गोयल,‘ इन सर्विस रेजिडेंट’ डॉ. दौलतराम एवं डॉ. ऋषभ चलाना तथा नर्सिंग अधिकारी अशोक कुमार वर्मा को दोषी पाया है. चिकित्सा महाविद्यालय (जयपुर) के प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक ने यह जांच समिति बनायी थी.
विभाग के प्रवक्ता के अनुसार डॉ एस के गोयल, डॉ. दौलतराम एवं डॉ. ऋषभ चलाना को तत्काल प्रभाव से हटाकर पदस्थापन प्रतीक्षा में रखा गया है जबकि अस्पताल के ‘पोलीट्रोमा वार्ड’ के नर्सिंग अधिकारी अशोक कुमार वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
यह मामला सामने आने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह ने जांच के लिए समिति गठित करने के निर्देश दिये थे. समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मरीज सचिन शर्मा का ब्लड ग्रुप ‘ओ’ पॉजिटिव था और उसे ‘एबी’ पॉजिटिव ग्रुप की एक यूनिट पीआरबीसी और एक यूनिट एफएफपी दी गई.
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा,‘‘ राज्य की भजनलाल सरकार हर मोर्चे पर असफल नजर आ रही है. कानून व्यवस्था की लचर हालत से लेकर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के हालात भी चिंताजनक बने हुए है. हाल में प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में गलत रक्त चढ़ाने से बांदीकुई निवासी 23 साल के सचिन शर्मा की शुक्रवार को मौत हो गई.’’
उन्होंने लिखा,‘‘सरकार को दोषियों पर सख़्त कार्यवाही करनी चाहिए और परिवार की आर्थिक मदद भी.’’
डॉ अचल शर्मा ने बृहस्पतिवार को बताया था,‘‘12 फरवरी को एक दुर्घटना में घायल हुए मरीज को भर्ती कराया गया था. यह सामने आया कि जब मरीज को अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया तो उसे गलत समूह का रक्त चढ़ा दिया गया."
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