Farmers Protest: शीर्ष अदालत से हमारी यही गुहार, नए कानून पर पहले लगाई जाए रोक- भारतीय किसान यूनियन
भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरलज सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल (Harinder Singh Lakhowal) का कहना है कि किसान अपने हकों की लड़ाई लड़ रहा है और उन्हें जब तक उनका हक नहीं मिलेगा तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा.
नई दिल्ली, 17 दिसंबर : भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरलज सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल (Harinder Singh Lakhowal) का कहना है कि किसान अपने हकों की लड़ाई लड़ रहा है और उन्हें जब तक उनका हक नहीं मिलेगा तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा. किसानों के आंदोलन के मसले पर देश के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) की टिप्पणी पर पूछे गए एक सवाल पर हरिंदर सिंह ने कहा, "शीर्ष अदालत से हमारी यही गुहार है कि पहले नये कृषि कानूनों पर रोक लगाई जाए, फिर समस्याओं के समाधान निकालने का आदेश दिया जाए." केंद्र सरकार द्वारा लागू नए कृषि कानूनों के विरोध में बीते तीन सप्ताह से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन का मसला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और शीर्ष अदालत ने मामले में केंद्र सरकार के साथ-साथ पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) की सरकारों को नोटिस जारी कर किसानों के मसले के समाधान के लिए कमेटी बनाने की बात कही है.
पंजाब के भाकियू नेता हरिंदर सिंह लाखोवाल ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, सरकार के कहने पर हमने पहले भी किसान नेताओं की कमेटी बनाई थी और उस कमेटी ने गृहमंत्री अमित शाह Amit Shah) से मिलकर बातचीत की थी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. जहां तक शीर्ष अदालत के प्रस्ताव का सवाल है तो हमें अदालत पर भरोसा है वहां किसानों के हितों की अनदेखी नहीं हो सकती. शीर्ष अदालत से बस यही गुहार है कि मसले के समाधान के लिए कमेटी बनाने और बातचीत करने संबंधी कोई भी आदेश देने से पहले तीनों कानूनों पर रोक लगाई जाए. यह भी पढ़ें : Kisan Vikas Patra: पोस्ट ऑफिस की यह स्कीम बेहद दमदार, 10 साल में पैसे कर देगी डबल, जानिए ब्याज-मैच्योरिटी समेत पूरी डिटेल
आईएएनएस ने उनसे पूछा कि अगर शीर्ष अदालत किसानों को बातचीत से पहले सड़कों से जाम हटाने का आदेश देती है तो उनका क्या फैसला होगा. इस पर लाखोवाल ने कहा, किसी भी मसले पर फैसला संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान संगठनों के नेताओं की बैठक में सर्वसम्मति से ही लिया जाएगा, लेकिन जहां तक मेरा मानना है तो किसान अपने हकों की लड़ाई लड़ रहा है और जब तक उनको उनका हक नहीं मिलेगा तब तक वह वापस होने को तैयार नहीं होंगे.
भाकियू नेता हरिंदर सिंह 26 नवंबर से दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर आंदोलित किसानों के साथ खड़े हैं और सरकार के साथ हुई वार्ताओं में किसानों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि सरकार से कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं और सरकार अभी तक वही बात कर रही है जो पहले कर रही थी. यह भी पढ़ें : Kisan Mazdoor Sangharsh Committee Protest: बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने किसान आंदोलन पर दिया बयान, कहा- किसानों को विश्वास में लेकर लेना चाहिए था निर्णय
किसान आंदोलन सिर्फ पंजाब और हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक सीमित है, देश के अन्य प्रांतों के किसान नये कृषि कानून का विरोध नहीं कर रहे हैं. इससे जुड़े सवाल पर भाकियू नेता ने कहा कि यह आंदोलन अब पंजाब और हरियाणा तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे देश के किसान इससे जुड़ जुके हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आंदोलन जोर पकड़ा है. इसकी वजह यह है कि सरकार द्वारा घोषित फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ सिर्फ इन्हीं प्रदेशों के किसानों को मिलता है. हरिंदर सिंह ने कहा कि फसलों का वाजिब दाम मिलने से इन प्रदेशों के किसान खुशहाल हैं वहीं बिहार में किसानों को फसलों का वाजिब दाम नहीं मिलने से वे बदहाली के शिकार हैं.