सैन्य शक्ति और आध्यात्मिकता में विरोधाभास नहीं, राम संस्कृति के ध्वजवाहक: राजनाथ सिंह
एनडीटीवी डिफेंस समिट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति के ध्वजवाहक प्रभु श्री राम हैं, जो नैतिकता और आध्यात्मिकता के प्रतीक तो हैं ही, साथ ही भगवान राम का साम्राज्य भी “अ-योध्य” है, उनका बाण भी रामबाण है, जो अमोघ है.
नई दिल्ली, 7 मार्च : एनडीटीवी डिफेंस समिट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति के ध्वजवाहक प्रभु श्री राम हैं, जो नैतिकता और आध्यात्मिकता के प्रतीक तो हैं ही, साथ ही भगवान राम का साम्राज्य भी “अ-योध्य” है, उनका बाण भी रामबाण है, जो अमोघ है. भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम तो हैं ही, वो इस धरती पर अधर्म के नाशक भी हैं. वो शस्त्र और शास्त्र ज्ञान, दोनों के धारक हैं.
रक्षा मंत्री ने कहा कि इसलिए भगवान राम के विस्तार के रूप में भारतीय संस्कृति को आप देखें, तो आपको भारत की सैन्य शक्ति और हमारी आध्यात्मिकता के बीच में कोई विरोधाभास नहीं, बल्कि पूर्ण तारतम्य दिखता है. जब आप भारत को भारत के नजरिए से देखेंगे, अपनी सेना को भारतीय नजर से देखेंगे, तो हर नागरिक को अपने देश की सेना पर गर्व होगा, क्योंकि सेना उस नागरिक की सुरक्षा के लिए होती है. यह भी पढ़ें : ‘Run-for-Rama’ Half Marathon: ‘रन-फॉर-राम’ हाफ मैराथन 10 मार्च को अयोध्या में
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमनें अकबर के बजाए महाराणा प्रताप को सम्मान दिया, हमने औरंगजेब के बजाय छत्रपति शिवाजी महाराज को सम्मान दिया, हम मैकॉले की दी गई इंडियन पिनल कोड को नकार कर ‘भारतीय न्याय संहिता’ लाए. हमने इस देश की संस्कृति और सांस्कृतिक क्षमता में अपने युवाओं का विश्वास दृढ़ किया.
रक्षा मंत्री के मुताबिक, आज न सिर्फ भारतीय रक्षा व्यवस्था मजबूत है, बल्कि भारत भी मजबूती के साथ वैश्विक पटल पर उभर रहा है और वह दिन दूर नहीं जब भारत न सिर्फ विकसित राष्ट्र के रूप में सामने आएगा, बल्कि हमारी सैन्य शक्ति दुनिया की सर्वोच्च सैन्य शक्ति बनकर उभरेगी.
राजनाथ सिंह ने कहा कि 2014 के आसपास जहां हमारा डोमेस्टिक डिफेंस प्रोडक्शन लगभग 40 हजार करोड़ रूपए था, वहीं आज यह लगभग 1 लाख 10 हजार करोड़ रूपए के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर चुका है. 9-10 साल पहले रक्षा उपकरणों का निर्यात जहां कुछ हजार करोड़ रुपए सालाना नही हुआ करता था, वह आज लगभग 16 हज़ार करोड़ रुपए सालाना हो गया है. अब यह लगभग बीस हज़ार करोड़ पहुंचने वालाहै. हमारा लक्ष्य क़रीब 50,000 करोड़ तक रक्षा सामग्री का निर्यात करने का है. भारत ने मेक इन इंडिया और डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर जैसे इनीशिएटिव के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि हम अपनी सेनाओं की जरूरत के लिए अत्याधुनिक हथियार भारत में ही निर्मित करें और यदि संभव हो तो हम उसे निर्यात भी करें.
रक्षा मंत्री ने बताया कि डोमेस्टिक कंपनियां के हितों का भी ध्यान रखा गया है. सरकार ने डिफेंस कैपिटल प्रोक्योरमेंट करने के लिए रक्षा बजट का 75 प्रतिशत, डोमेस्टिक कंपनियां से खरीद के लिए रिजर्व किया है.
उन्होंने बताया कि हमारी ऑर्डिनेंस फैक्टरीज पुरानी व्यवस्था में भी अच्छा काम कर रही थीं, लेकिन नए समय को देखते हुए, नई जरूरतों को देखते हुए, हमने ऑर्डिनेंस फैक्टरीज का कॉरपोरेटाइजेशन किया, ताकि वे और ज्यादा टेक्नोलॉजी फ्रेंडली बन सकें और ज्यादा आउटपुट दे सकें.
रक्षा मंत्री ने बताया कि ऐसा नहीं है कि हमने बिना सोचे-समझे उनका कॉरपोरेटाइजेशन किया. हमने राष्ट्रीय सुरक्षा का ध्यान रखा. भारत में जब 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार आई, तो हमने रक्षा क्षेत्र को अपनी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक रखा. हमने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया. सीडीएस के पद का सृजन हो, हथियारों के एक्सपोर्ट की बात हो, हमने अनेक ऐसे कार्य किए, जो भारत के रक्षा क्षेत्र को मजबूत करते हैं.
राजनाथ सिंह ने बताया कि हमारे डिफेंस पीएसयू और सर्विसेज ने जितने भी चैलेंज दिए, हमारे युवाओं ने उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, और सफलतापूर्वक उन चैलेंज को स्वीकार कर उसे अंजाम दिया. अब इस मुहिम में आगे बढ़ते हुए, हमने हाल ही में आईडीईएक्स प्राइम को भी अपग्रेड कर ‘एडीआईटीआई’ स्क्रीम को लॉन्च किया, जहां हम अपने युवाओं को तथा उनके स्टार्टअप को, उनकी इनोवेशन में मदद के लिए पूरे 25 करोड़ तक की मदद करेंगे.