Supreme Court On Forced Conversion: जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 2 जनवरी को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट (File Photo)

नई दिल्ली, 28 दिसंबर: उच्चतम न्यायालय दो जनवरी को एक नयी याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें केंद्र और राज्यों को "डर, धमकी, उपहार देकर और मौद्रिक लाभों के जरिए प्रलोभन" से धोखाधड़ी वाले धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है. IT Exemption Likely To Be 5 Lakh: Budget 2023 में मोदी सरकार नौकरीपेशा लोगों को दे सकती है बड़ी राहत, टैक्स स्लैब में कर सकती है बहुत बड़ा बदलाव

न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की एक पीठ वकील आशुतोष कुमार शुक्ला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर सकती है, जिसमें धोखे से धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए एक विशेष कार्य बल बनाने की भी मांग की गई है.

नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य के बाध्य होने का तर्क देते हुए याचिका में कहा गया है कि अपने धर्म के प्रचार के अधिकार से किसी व्यक्ति को लोगों को धर्मांतरित करने का अधिकार नहीं मिलता है.

याचिका में आरोप लगाया गया, ‘‘जनजातीय क्षेत्र ज्यादातर निरक्षर क्षेत्र हैं. शोध के आंकड़ों के अनुसार, इन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के बीच स्वास्थ्य, शिक्षा, आहार और पीने के पानी की स्थिति को खराब माना जाता है. ये क्षेत्र सामाजिक रूप से सबसे पिछड़े हैं. यह सामाजिक पिछड़ापन मिशनरियों के लिए वंचित वर्गों के बीच उनके सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक विकास के लिए काम करने के अवसर खोलता है जो धर्मशिक्षा के उस प्रसार संदेश के माध्यम से अंततः धर्मांतरण में परिणति होता है.’’

जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि राज्य को समाज के सामाजिक, आर्थिक रूप से वंचित वर्गों, विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से संबंधित धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए. दान का उद्देश्य धर्मांतरण नहीं होने का उल्लेख करते हुए शीर्ष अदालत ने पूर्व में इस बात की पुष्टि की थी कि जबरन धर्म परिवर्तन एक "गंभीर मुद्दा" है और संविधान के खिलाफ है.

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