Supreme Court On Stubble Burning: बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. उच्च न्यायालय ने कहा कि पराली जलाने के लिए किसानों पर एफआईआर की जा रही है, ये समस्या का समाधान नही है. उल्लंघन करने वालों की एमएसपी एक साल के लिए रोकी जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि धान की पराली जलाने और वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले किसानों और मजदूरों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करना पंजाब और अन्य राज्यों में पराली जलाने की समस्या से निपटने का कोई समाधान नहीं है. No Odd-Even in Delhi: दिल्ली में नहीं लागू होगा ऑड-ईवन सिस्टम, प्रदूषण कम होने के बाद केजरीवाल सरकार ने लिया फैसला
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि सरकार को नाराज किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय, ऐसे किसानों को उनकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) रोकने पर विचार करना चाहिए.
FIRs against farmers not a solution to stubble burning; withhold MSP to violators for a year: Supreme Court
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— Bar & Bench (@barandbench) November 10, 2023
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप एफआईआर दर्ज करेंगे, फिर वापस ले लेंगे. एफआईआर दर्ज करना वास्तव में समाधान नहीं है. इसे प्रोत्साहन आधारित या दंडात्मक उपाय भी करना होगा. खेतों में आग लगनी बंद होनी चाहिए. अटार्नी लापरवाह नहीं हो सकते. सभी राज्य इसके लिए जिम्मेदार हैं. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह धान पर एमएसपी को पूरी तरह से हटाने की वकालत नहीं कर रहा है.
पीठ दिल्ली में बिगड़ती वायु गुणवत्ता और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसे वायु प्रदूषण में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक बताया गया था. कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि किसान समाज का हिस्सा हैं और उन्हें जिम्मेदार होना होगा।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा, "हमें सख्ती बरतनी होगी और पंजाब सरकार को जिम्मेदारी लेनी होगी. दिल्ली प्रदूषण से काफी प्रभावित है, लेकिन किसानों को भी विकल्प देना होगा." मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी.