नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी से निपटने के लिए बनाए गए ‘पीएम केयर्स फंड’ (PM CARES Fund) से संबंधित एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता ने केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए ‘पीएम केयर्स फंड’ को निरस्त करने का अनुरोध किया था.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे (SA Bobde) की अध्यक्षता वाली बेंच ने वकील एमएल शर्मा (ML Sharma) द्वारा दायर जनहित याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए इसे गलत बताया और खारिज कर दिया. इस बेंच में जस्टिस एल नागेश्वर राव (L Nageswara Rao) और एमएम शांतनगौडर (MM Shantanagoudar) भी शामिल थे. कोरोना से जंग जारी: कोविड-19 की जांच के लिए चीन से किट का पहला कनसाइनमेंट 15 अप्रैल को भारत पहुंचेगा- ICMR
याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा ने याचिका में कहा था कि पीएम केयर्स फंड बनाने से पहले संविधान के अनुच्छेद 266 और 267 का पालन नहीं किया गया. याचिका में प्रधानमंत्री सहित कोष के सभी न्यासियों को पक्ष बनाया गया था. जिस तर्क से सुप्रीम कोर्टसहमत नहीं हुआ.
याचिका में यह अनुरोध भी किया गया है कि इस कोष में मिली राशि भारत की संचित निधि में अंतरित की जाए. इसके अलावा अदालत की निगरानी में एसआईटी (विशेष जांच दल) से कोष की स्थापना की जांच करायी जाए.
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच लॉकडाउन के ऐलान के बाद 28 मार्च को पीएम केयर्स फंड की स्थापना की थी. इसका मकसद मौजूदा कोरोना वायरस संकट जैसी किसी भी तरह की आपातकालीन स्थिति से निपटना और प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करना है. प्रधानमंत्री इस कोष के पदेन अध्यक्ष हैं और रक्षा, गृह तथा वित्त मंत्री इसके पदेन न्यासी हैं. (एजेंसी इनपुट के साथ)