सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ताजमहल के कुछ कमरों को खोलने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें स्मारक के "कथित इतिहास" को आराम देने का दावा किया गया था. याचिकाकर्ता ने दावा किया गया था कि यह एक शिव मंदिर, तेजो महालय था. Modi Badrinath Visit: बद्रीनाथ धाम पहुंचते ही बदल गई PM मोदी की ड्रेस, पूजा-अर्चना के बाद परियोजनाओं की रखी आधारशिला
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि "इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ अपील, एक 'प्रचार हित याचिका' थी. याचिका में सरकार को एक तथ्य-खोज समिति का गठन करने और मुगल सम्राट शाहजहां के आदेश पर ताजमहल के अंदर छिपी मूर्तियों और शिलालेखों जैसे "महत्वपूर्ण ऐतिहासिक साक्ष्यों की तलाश" करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया था कि कई हिंदू समूह दावा कर रहे हैं कि ताजमहल एक पुराना शिव मंदिर है जिसे तेजो महालय के नाम से जाना जाता था, एक सिद्धांत जिसे कई इतिहासकारों ने भी समर्थन दिया था. इन दावों ने एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जहां हिंदू और मुसलमान आपस में लड़ रहे हैं और इसलिए विवाद को खत्म करने की जरूरत है.
#BREAKING [Tejo Mahalaya] Supreme Court rejects PIL to open Taj Mahal rooms, says petition a 'publicity interest litigation'
report by @AB_Hazardous https://t.co/YQ5VsLpene
— Bar & Bench (@barandbench) October 21, 2022
सिंह ने कहा कि ताजमहल की चार मंजिला इमारत के ऊपरी और निचले हिस्से में 22 कमरे हैं जो स्थायी रूप से बंद हैं और पीएन ओक जैसे इतिहासकारों और कई हिंदू उपासकों का मानना है कि उन कमरों में एक शिव मंदिर है. यह पहली बार नहीं है जब "तेजो महालय" को लेकर इस तरह के दावे अदालतों के सामने आए हैं. आगरा में छह अधिवक्ताओं द्वारा दायर एक मुकदमे के जवाब में दावा किया गया कि ताजमहल तेजो महालय मंदिर महल है, केंद्र सरकार ने 2017 में कहा कि दावा "मनगढ़ंत" और "स्व-निर्मित" है.