SC का बड़ा फैसला, केवल चार्जशीट दायर होने पर नहीं रद्द होगा विधायकों और सांसदों का चुनाव

देश की शीर्ष कोर्ट ने विधायकों और सांसदों के चुनाव को अमान्य घोषित करने के से संबंधित कानून को लेकर केंद्र सरकार को कोई भी आदेश या निर्देश पारित करने से मना कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI/File Image)

नई दिल्ली: देश की शीर्ष कोर्ट ने विधायकों और सांसदों के चुनाव को अमान्य घोषित करने के से संबंधित कानून को लेकर केंद्र सरकार को कोई भी आदेश या निर्देश पारित करने से मना कर दिया है. दरअसल याचिकाकर्ता ने अपील की थी सुप्रीम कोर्ट उन मामलों के लिए जिनमें पांच वर्ष या अधिक के जेल की सजा हो सकती है और उनके चार्जशीट दायर किए एक साल से ज्यादा हो चुके है, ऐसे सांसद या विधायक का चुनाव अस्वीकरणीय करने के संबंध में आदेश दें.

सुप्रीम कोर्ट को सितंबर में सभी हाईकोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार देश में नेताओं के खिलाफ 4,442 आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं और इनमें से 2,556 ऐसे मामलों में वर्तमान सांसदों तथा विधायकों के खिलाफ मुकदमे लंबित हैं. संसद और विधानसभाओं में निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के तेजी से निबटारे के लिये दायर याचिकाओं पर न्यायालय ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को ऐसे लंबित मामलों का विवरण पेश करने का निर्देश दिया था.

इस रिपोर्ट से पता चला है कि कुल 4,442 ऐसे मामले लंबित हैं, इनमें से 2,556 मामलों में वर्तमान सांसद-विधायक आरोपी हैं. इनमें से 352 मामलों की सुनवाई उच्चतर अदालतों के स्थगन आदेश की वजह से रूकी है. कोर्ट में पेश 25 पेज के हलफनामे में कहा गया है कि इन 2,556 में निर्वाचित प्रतिनिधि आरोपी हैं. इन मामलों में संलिप्त प्रतिनिधियों की संख्या मामलों से ज्यादा है क्योंकि एक मामले में एक से ज्यादा ऐसे निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल हैं जबकि यही प्रतिनिधि एक से अधिक मामलों में आरोपी है.

रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष अदालत और हाईकोर्ट ने 352 मामलों की सुनवाई पर रोक लगायी है. 413 मामले ऐसे अपराधों से संबंधित हैं जिनमें उम्र कैद की सजा का प्रावधान है. इनमें से 174 मामलों में पीठासीन निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार इस चार्ट में सबसे ऊपर उत्तर प्रदेश है जहां विधि निर्माताओं के खिलाफ 1,217 मामले लंबित हैं और इनमें से 446 ऐसे मामलों में वर्तमान विधि निर्माता शामिल हैं. इसी तरह,बिहार में 531 मामलों मे से 256 मामलों में वर्तमान विधि निर्माता आरोपी हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अनेक मामले भ्रष्टाचार निरोधक कानून, धनशोधन रोकथाम कानून, शस्त्र कानून, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से रोकथाम कानून और भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दर्ज हैं.

शीर्ष अदालत ने वर्तमान उन सांसदों और विधायकों के संबंध में आदेश दिया था जिनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (1)(2) और धारा 8(3) के तहत अभियोग निर्धारित किये जा चुके हैं. न्यायालय ने इन माननीयों के मुकदमों की सुनवाई तेजी से करने और यथासंभव अभियोग निर्धारित करने की तारीख से एक साल के भीतर इसे पूरा करने का निर्देश दिया था.

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