नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया था कि जम्मू कश्मीर पुलिस ने सनसनीखेज कठुआ सामूहिक बलात्कार मामले और हत्या के मुख्य गवाह को बलात्कार के किसी दूसरे मामले के संबंध में हिरासत में प्रताड़ित किया. न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कठुआ मामले के मुख्य गवाह तालिब हुसैन के एक करीबी रिश्तेदार की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता अदालत के आदेश के बावजूद उसके समक्ष पेश नहीं हुआ.
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले में अल्पसंख्यक खानाबदोश समुदाय की आठ वर्षीय बच्ची को कथित तौर पर अगवा किया गया और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया. याचिकाकर्ता एम ए खान ने शीर्ष न्यायालय का रुख कर आरोप लगाया था कि राज्य पुलिस ने बलात्कार के किसी दूसरे मामले के संबंध में उसके रिश्तेदार हुसैन को गिरफ्तार करने के बाद उसे हिरासत में प्रताड़ित किया. यह भी पढ़े: कठुआ दुष्कर्म मामले में नया मोड़, पीड़िता के परिवार ने वकील दीपिका सिंह रजावत को केस से हटाने की दी अर्जी
जम्मू कश्मीर पुलिस की ओर से पेश हुए अधिवक्ता शोएब आलम ने अदालत में पिछले महीने याचिका में लगाए आरोपों को खारिज कर दिया था और कहा था कि चूंकि हुसैन को जमानत मिल गई है इसलिए याचिका का कोई मतलब नहीं है. पीठ ने 13 नवंबर को दिए अपने आदेश में कहा, ‘‘22 अक्टूबर के हमारे आदेश के बावजूद रिट याचिकाकर्ता अपने वकील सुनील फर्नांडीज द्वारा दायर अर्जी पर जवाब के लिए इस अदालत के समक्ष पेश नहीं हुआ. यह भी पढ़े: कठुआ बलात्कार: 7 के खिलाफ हत्या, गैंगरेप के आरोप हुए तय, आज से नियमित सुनवाई शुरू
इन परिस्थितियों में रिट याचिका खारिज की जाती है.’’खान ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि पुलिस ने हुसैन को गैर कानूनी रूप से हिरासत में रखा और उसे प्रताड़ित किया. उच्चतम न्यायालय ने कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले की सुनवाई को जम्मू कश्मीर से पंजाब के पठानकोट स्थानांतरित कर दिया था.