सुप्रीम कोर्ट ने एमपी हाईकोर्ट का 'जमानत के लिए राखी बंधवाने' का आदेश किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को छेड़छाड़ के एक मामले में आरोपी को जमानत देने का मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का आदेश खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने शर्त रखी थी कि आरोपी अगर पीड़िता से 'राखी' बंधवाएगा तो उसे जमानत दे दी जाएगी.
नई दिल्ली, 18 मार्च : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को छेड़छाड़ (Molestation) के एक मामले में आरोपी को जमानत देने का मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) का आदेश खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने शर्त रखी थी कि आरोपी अगर पीड़िता से 'राखी' बंधवाएगा तो उसे जमानत दे दी जाएगी. जस्टिस ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने निर्देश में कहा कि न्यायाधीशों को किसी भी प्रकार की रूढ़िवादिता से बचना चाहिए. अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने भी जमानत की इस शर्त का विरोध किया.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के 30 जुलाई के आदेश के खिलाफ अधिवक्ता अपर्णा भट और अन्य 8 महिला वकीलों ने याचिका दायर की थी, जिसमें यौन उत्पीड़न के एक आरोपी को जमानत के लिए शर्त के रूप में पीड़िता से राखी बंधवाने के लिए कहा गया था. यह भी पढ़ें : Rajasthan: उप वन संरक्षक तीन लाख रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार
याचिका में कहा गया, "जमानत की शर्त पीड़िता को अपने ही घर में आगे पीड़ित होने के लिए मजबूर कर देगी. इस शर्त के बाद भाई-बहन का त्यौहार रक्षाबंधन पीड़िता के लिए आघात लेकर आएगा." याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि जमानत के लिए हाईकोर्ट की शर्त को दरकिनार कर दी जानी चाहिए.