National Men's Commission: उच्चतम न्यायालय घरेलू हिंसा से पीड़ित विवाहित पुरुषों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामलों से निपटने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने और ‘राष्ट्रीय पुरुष आयोग’ के गठन का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर तीन जुलाई को सुनवाई करेगा.
उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिका को सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. ये भी पढ़ें- SC On Divorce: शादी के बाद सेटल होने में समय लगता है, सिर्फ 40 दिन बाद तलाक लेकर पति-पत्नी अलग नहीं हो सकते: सुप्रीम कोर्ट
अधिवक्ता महेश कुमार तिवारी द्वारा दायर याचिका में देश में दुर्घटनावश मौतों के संबंध में 2021 में प्रकाशित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला दिया गया है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि उस वर्ष देशभर में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की.
याचिका में कहा गया है कि इनमें (आत्महत्या करने वालों में) विवाहित पुरुषों की संख्या 81,063 थी, जबकि 28,680 विवाहित महिलाएं थीं. याचिका में एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है, ‘‘2021 में लगभग 33.2 प्रतिशत पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं के कारण और 4.8 प्रतिशत ने विवाह संबंधी कारणों से आत्महत्या कर ली.’’
याचिका में, विवाहित पुरुषों के आत्महत्या करने के मुद्दे से निपटने और घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों की शिकायतों पर कार्रवाई करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.
याचिका में केंद्र को गृह मंत्रालय के जरिये पुलिस प्राधिकार/प्रत्येक पुलिस थाने के प्रभारी को यह निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया है कि घरेलू हिंसा के शिकार पुरुषों की शिकायतें तत्काल स्वीकार की जाए.
इसमें कहा गया है, ‘‘घरेलू हिंसा से पीड़ित या पारिवारिक समस्या या विवाह से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे विवाहित पुरुषों के आत्महत्या करने के मुद्दे पर शोध कराने के लिए विधि आयोग एक निर्देश दिया जाए, ताकि राष्ट्रीय पुरुष आयोग जैसा एक मंच गठित करने के लिए आवश्यक रिपोर्ट तैयार की जाए.’’
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