भारतीय इंजीनियर के फ्रॉड से सिलिकॉन वैली हैरान! सोहम पारेख ने फर्जी रिज्यूमे से कई कंपनियों में एक साथ की नौकरी

टेक की दुनिया, ख़ासकर अमेरिका के सिलिकॉन वैली में, इस समय एक भारतीय नौजवान की कहानी पर बहस कर रही है. सोहम पारेख नाम के इस टेकी पर आरोप है कि उसने एक ही समय में कई टेक कंपनियों को धोखा दिया, नकली बायोडाटा (Resume) का इस्तेमाल किया और एक साथ कई जगहों पर नौकरी (जिसे 'मूनलाइटिंग' भी कहते हैं) की.

यह मामला तब सामने आया जब मिक्सपैनल (Mixpanel) और प्लेग्राउंड एआई (Playground AI) जैसी कंपनियों के सह-संस्थापक (Co-founder) सुहैल दोषी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट डाली. इस पोस्ट में उन्होंने सोहम पारेख को एक "स्कैमर" यानी धोखेबाज़ बताया.

क्या हैं आरोप?

सुहैल दोषी ने अपने पोस्ट में दावा किया कि सोहम पारेख ने कई स्टार्टअप कंपनियों, खासकर वाई-कॉम्बिनेटर (YC-backed) जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं से जुड़ी कंपनियों को अपना शिकार बनाया. दोषी के मुताबिक, उन्होंने सोहम को अपनी कंपनी में नौकरी पर रखा था, लेकिन उसकी झूठी बातों और धोखेबाज़ी के कारण उसे एक हफ़्ते के अंदर ही निकाल दिया.

दोषी ने सोहम का बायोडाटा भी शेयर किया और कहा कि यह "शायद 90% नकली" है. बायोडाटा में डायनमो एआई (Dynamo AI), यूनियन एआई (Union AI) और सिंथेसिया (Synthesia) जैसी बड़ी कंपनियों में काम करने का ज़िक्र था. दोषी का कहना है कि उन्होंने छह से ज़्यादा कंपनियों से बात करके इन दावों की जांच की और उन्हें झूठा पाया.

सुहैल दोषी ने यह भी बताया कि उन्होंने सोहम को समझाने की कोशिश की थी, लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ.

टेक जगत में मचा हड़कंप

सुहैल दोषी का यह पोस्ट वायरल होते ही टेक जगत में हड़कंप मच गया. कई और कंपनियों के संस्थापक और सीईओ भी सामने आए और उन्होंने सोहम पारेख के साथ अपने अनुभव साझा किए.

  • लिंडी (Lindy) के सीईओ फ्लो क्रिवेलो ने बताया कि उन्होंने सोहम को नौकरी पर रखा था और इंटरव्यू में वह बहुत "होशियार" लगा था. लेकिन सच्चाई सामने आने के बाद उसे तुरंत निकाल दिया गया.
  • एंटीमेटल (Antimetal) के सीईओ मैथ्यू पार्खर्स्ट ने भी पुष्टि की कि सोहम ने उनके यहां काम किया था. उन्होंने सोहम को "वास्तव में होशियार और पसंद करने लायक" बताया, लेकिन यह पता चलने पर कि वह कई कंपनियों के लिए एक साथ काम कर रहा है, उसे निकाल दिया.
  • कई अन्य लोगों ने भी बताया कि सोहम इंटरव्यू में बहुत अच्छा प्रदर्शन करता था, जिससे उसे नौकरी पाने में आसानी होती थी.

क्या है मूनलाइटिंग का विवाद?

"मूनलाइटिंग" का मतलब है अपनी मुख्य नौकरी के साथ-साथ चुपके से किसी दूसरी कंपनी के लिए भी काम करना. सोहम पारेख के मामले ने स्टार्टअप की दुनिया में इस मुद्दे पर एक नई बहस छेड़ दी है. कई लोगों का मानना है कि यह नैतिक रूप से गलत है और कंपनी के साथ धोखा है. वहीं, कुछ लोग इसे कर्मचारियों के अधिकार से जोड़कर भी देखते हैं.

हालांकि, इस मामले में मुख्य मुद्दा सिर्फ़ मूनलाइटिंग नहीं, बल्कि धोखाधड़ी और नकली बायोडाटा का भी है. कंपनियों का कहना है कि सोहम ने झूठ बोलकर और अपनी योग्यता के बारे में गलत जानकारी देकर नौकरी हासिल की.

सोहम पारेख का पक्ष

इस पूरे विवाद पर सोहम पारेख ने सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है. हालांकि, सुहैल दोषी ने बाद में एक और पोस्ट में बताया कि सोहम ने उनसे निजी तौर पर संपर्क किया और पूछा, "क्या मैंने अपना करियर पूरी तरह से बर्बाद कर लिया है? मैं अपनी स्थिति को सुधारने के लिए क्या कर सकता हूं?"

यह मामला स्टार्टअप कंपनियों के लिए एक सबक की तरह है कि उन्हें नौकरी पर रखने से पहले उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि और उनके दावों की अच्छी तरह से जांच (Vetting) करनी चाहिए, खासकर जब काम पूरी तरह से रिमोट यानी घर से हो रहा हो.