पटना: बिहार में बाढ़ एक बार फिर से विकराल रूप धारण कर सकती है. नेपाल में बुधवार को भारी बारिश का नया अलर्ट जारी किया गया है, जिससे बिहार में बाढ़ की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. नेपाल में पहले से ही लगातार हो रही बारिश ने बाढ़ और भूस्खलन से तबाही मचा रखी है, जिसमें अब तक 240 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. नेपाल की सरकार ने गृहमंत्री रमेश लेखक के निर्देश पर आपदा प्रबंधन एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा है. मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, कोशी और बागमती प्रांतों के साथ-साथ काठमांडू घाटी में बुधवार और गुरुवार को भारी बारिश की संभावना है. यह चेतावनी नेपाल के जल विज्ञान और मौसम विज्ञान विभाग द्वारा दी गई है, जिसमें भारी बारिश के खतरों का उल्लेख किया गया है.
बिहार में बाढ़ का संकट
बिहार के लोग हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर होते हैं. बाढ़ अब बिहार के लिए एक नियमित त्रासदी बन चुकी है, जिसे राज्य के करोड़ों लोगों को हर साल सहना पड़ता है. गंगा और कोसी जैसी प्रमुख नदियों का उफान गरीबों के लिए तबाही लेकर आता है. नदी किनारे रहने वाले लोगों के घर पानी में डूब जाते हैं, खेती तबाह हो जाती है और लोग पलायन करने पर मजबूर हो जाते हैं.
इस बार भी स्थिति गंभीर बनी हुई है. पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सारण, सहरसा, भागलपुर और कटिहार जैसे जिलों में बाढ़ का सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है. इन इलाकों में नदी किनारे के अधिकांश घर पूरी तरह से पानी में डूब चुके हैं.
बाढ़ के बीच जीवन की जद्दोजहद
बाढ़ से पीड़ित लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं. सड़क किनारे, रेलवे पटरी के किनारे, बांधों पर और जंगलों में बांस और प्लास्टिक से बने टेंटों में लोग किसी तरह अपना जीवन काट रहे हैं. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बाढ़ की इस त्रासदी का सामना कर रहे हैं.
पिछले दो महीनों से लोग उम्मीद कर रहे थे कि अब पानी घटने लगेगा, लेकिन कोसी और गंगा के जलस्तर में फिर से वृद्धि हो गई है, जिससे हालात और भी बिगड़ते जा रहे हैं. लोगों के पास खाने के लिए अनाज नहीं है, और उनके द्वारा कर्ज लेकर की गई खेती भी बर्बाद हो चुकी है.