Sign Language Day: आज है अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस, जानें कितनी अहम है इशारों से बोली जाने वाली यह बोली
International Sign language day (Photo Credits: File Photo)

इंसान हर सजीव से ज्यादा सामाजिक होता है. दरअसल समाज में इंसान एक दूसरे को अपने जज्बात, कहानियां, तजुर्बे, गम, खुशी इत्यादि संवाद के जरिये शेयर करता हैं. संवाद में भाषा बेहद अहम होती है. यही वजह है कि हर व्यक्ति / समाज कि अपनी मूल भाषा होती है. और मूल भाषा के प्रति इत्र दूसरी भाषाएं समझने में आसानी होती है. जिस तरह उर्दू, हिंदी, मराठी, तमिल,  पंजाबी वगैरा बातचीत की भाषाएं है. इसी तरह कर्णबधिर (Hearing Impaired) लोगों की मूल भाषा सांकेतिक/साइन लैंग्वेज होती है.

वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ डेफ के अनुसार पूरे विश्व में 70 मिलियन से अधिक लोग कर्णबधिर हैं. इनमें से 80 फीसदी से ज्यादा लोग विकासशील देश में कर्णबधिर है. तकरीबन 300 अलग-अलग तरह की सांकेतिक भाषा बोली जाती है. यह सांकेतिक भाषा कर्णबधिर व्यक्तियों की खुद की अपनी मूल भाषा है. यह अपने आप में एक पूरी तरह मुकम्मल भाषा होती है. सांकेतिक भाषा कर्ननबधिर को अपनी एक अलग पहचान देती है. जिससे उसका अपना एक कल्चर जुड़ा होता है. कर्णबधिर व्यक्ति को एक दूसरे से संवाद करने में आसानी होती है. कर्णबधिर व्यक्ति सांकेतिक भाषा का प्रयोग करके एक दूसरे से बातचीत करते हैं, एक्सपीरियंस शेयर करते हैं. ड्रामा करते हैं, जोक्स बोलते, बात करते हैं. यह भी पढ़ें : जापान की जुड़वा बहनों ने 107 साल की उम्र में बनाया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, बनी दुनिया की सबसे बुजुर्ग ट्विन सिस्टर्स, देखें तस्वीरें

जन्म से कर्णबधिर बच्चों की जांच भारत के कई हिस्सों में अब भी तुरंत नहीं हो पाती है, यही वजह है कि लोगों का एक बहुत बड़ा हिस्सा समाज में सक्षम नहीं है इसलिए जरूरत इस बात की है कि बच्चों की जल्द से जल्द जांच हो, कानों की पैतृक मशीन लगाई जाए, स्पीच थेरेपी सिखाई जाए. कुछ कर्णबधिर स्पीच थेरेपी या मशीन के जरिए नहीं ठीक हो पात ऐसे लोगों में साइन लैंग्वेज या सांकेतिक भाषा आवश्यक होता है. सांकेतिक भाषा से अन्य भाषा सीखने में जैसे इंग्लिश हिंदी मराठी सीखने में मदद मिलती है.

यह लेख Munazza Shaikh ने लिखा है जो पेशे से ऑडियोलॉजिस्ट और स्पीच थेरेपिस्ट हैं.

नोट: यह लेख लेखक के विचार और रिसर्च पर आधारित है. LatestLY इसकी पुष्टि नहीं करता है.