
ग्रेटर नोएडा में रेबीज संक्रमण का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने इस वायरस को लेकर लोगों की आम धारणाओं को चुनौती दी है. आमतौर पर माना जाता है कि रेबीज केवल कुत्ते के काटने से फैलता है, लेकिन इस घटना ने साबित किया कि यह घातक वायरस संक्रमित जानवर के दूध के सेवन से भी फैल सकता है.
मृतका का परिवार पशुपालन से जुड़ा था और उसने अंजाने में एक संक्रमित गाय का दूध पी लिया. यह गाय एक आवारा कुत्ते के काटने से रेबीज से ग्रसित हो गई थी, लेकिन परिवार को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. जब गाय में बीमारी के लक्षण दिखने लगे, तब जाकर परिवार ने उसे टीका लगाया, लेकिन तब तक महिला ने कई बार उसका दूध पी लिया था.
टीका न लगवाने की गलती पड़ी भारी
गांव में जब यह संक्रमण उजागर हुआ, तो कम से कम दस लोगों ने एहतियातन रेबीज का टीका लगवाया, लेकिन दुर्भाग्यवश महिला ने इसे नजरअंदाज कर दिया. कुछ ही दिनों बाद, उसने रेबीज के गंभीर लक्षण दिखाने शुरू कर दिए, जिसमें हाइड्रोफोबिया (पानी से डर), पैनिक अटैक और रोशनी व पानी से आक्रामक प्रतिक्रिया शामिल थी.
इलाज के अभाव में तड़पकर हुई मौत
परिवार ने उसे बचाने के लिए कई अस्पतालों के चक्कर काटे, लेकिन अधिकतर जगह इलाज से इनकार कर दिया गया. अंततः ज़िला अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें घर ले जाने की सलाह दी. कुछ ही समय बाद महिला की मौत हो गई.
गांव में दहशत
इस घटना के बाद पूरे गांव में डर का माहौल बन गया, क्योंकि कई ग्रामीणों ने भी उसी संक्रमित गाय का दूध पिया था. स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत संक्रमण की संभावना वाले सभी लोगों को मेडिकल जांच कराने और रेबीज का टीका लगवाने की सलाह दी.
रेबीज सिर्फ काटने से नहीं, दूसरे तरीकों से भी फैल सकता है
विशेषज्ञों के अनुसार, रेबीज वायरस संक्रमित जानवर की लार से फैलता है, जो केवल काटने से ही नहीं बल्कि खुले घाव, आंख, नाक या मुंह के संपर्क में आने से भी संक्रमण फैला सकता है. यह मामला इस बात की गंभीर चेतावनी है कि सिर्फ कुत्ते या अन्य जानवरों के काटने पर ही नहीं, बल्कि संदिग्ध संपर्क की स्थिति में भी तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए.