मुंबई: शिवसेना (Shivsena) अपनी सहयोगी पार्टी बीजेपी (Bharatiya Janata Party) को राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण को लेकर कदम- कदम पर घेरने की कोशिश कर रही है. शनिवार को शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लेख लिखकर, सबरीमाला और राम मंदिर निर्माण को लेकर एक बार फिर मोदी सरकार को घेरा है. सामना के मुखपत्र में कहा गया है कि हिंदुत्व के नाम पर इन दिनों देश में जिस तरह का तमाशा जारी है. ऐसा कांग्रेस के शासन में भी नहीं देखने को मिला था. वहीं लेख में आगे कहा गया है कि देश के दो प्रमुख मंदिरों को लेकर जनभावनाएं तेज हैं. पहला राम मंदिर और दूसरा केरल का सबरीमाला मंदिर. इन दोनों मंदिरों के बारे में बीजेपी और संघ परिवार की भूमिका स्वतंत्र यानी दोनों तरफ से 'मृदंग' बजाने के समान है.
शिवसेना ने लेख के जरिये पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा है कि उनका विचार है, ''राम मंदिर मुद्दे को लेकर अदालत में जो नतीजा आएगा उसे आने दो, संघ की प्रमुख की मंडलियां उस पर ठंडी प्रतिक्रियाएं दे रही हैं. वहीं दूसरी तरफ केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने के अदालती निर्णय को बीजेपी व संघ मानने को तैयार नहीं.'' ऐसे में सरकार का अलग -अलग रुख क्यों ? शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि केरल में आरएसएस ने बीजेपी की मदद से महिला मंदिर प्रवेश के मुद्दे को भड़काया. इस मामले को लेकर केरल में हिंसा भड़क उठी है. संघ के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर कानून हाथ में ले रहे हैं. गोलीबारी में लोग मारे जा रहे हैं. पत्रकार और पुलिसवालों पर हमले जारी हैं. ये सब बीजेपी की वजह से हो रहा है. यह भी पढ़े: राम मंदिर मुद्दे पर बीजेपी को फिर घेरेगी शिवसेना, अयोध्या के बाद अब महाराष्ट्र में धर्म सभा करेंगे उद्धव ठाकरे
मंदिर निर्माण को लेकर शिवसेना का कहना है कि राम मंदिर निर्माण लोगों के आस्था का सवाल है. ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि वह मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाए और मंदिर बनवाए लेकिन सरकार है कि वह करोडो लोगों के जनभावनाओं की तरह ध्यान देने को तैयार नहीं है. मगर सबरीमाला मंदिर मामले में 'मृदंग' जनभावना को ही महत्व दे रही है. लेख के जरिये शिवसेना ने संघ पर भी हमला करते हुए कहा है कि केरल में मंदिर और हिंदुत्व की रक्षा के लिए 'संघ' सड़क पर उतरा है. मगर अयोध्या के राम मंदिर मुद्दे पर वो ठंडा पड़ा है. मंदिर अयोध्या में ही होगा, ऐसा सर संघचालक कहते हैं मगर कब, समय नहीं बताते हैं.