मुंबई: महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Govt) के विभिन्न विभागों, स्कूलों (Schools), कॉलेजों (Colleges), अस्पतालों (Hospitals) और अन्य क्षेत्रों के करीब 18 लाख कर्मचारियों ने मंगलवार को पुरानी पेंशन योजना (Pension Scheme) की वापसी की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी. अपनी सबसे बड़ी चुनौती का सामना करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) की 9 महीने पुरानी सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है और वित्तीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए उनकी मांग पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने की पेशकश की है.
हालांकि, हड़ताली यूनियनें अडिग हैं और उन्होंने घोषणा की कि वे ओपीएस पर तत्काल घोषणा चाहते हैं - जिसे 2005 में बंद कर दिया गया था. Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को झटका, SC ने खारिज की 7400 करोड़ के अतिरिक्त मुआवजे की मांग
सरकारी कर्मचारी संघ संचालन समिति के संयोजक विश्वास काटकर ने मीडियाकर्मियों से कहा, "हम आंकड़े एकत्र कर रहे हैं. राज्य सरकार के अधिकांश विभागों के कर्मचारी हड़ताल में शामिल हो गए हैं और यह तब तक जारी रहेगी, जब तक हम सफल नहीं हो जाते."
ओपीएस को एक नई पेंशन योजना से बदल दिया गया था, जिसमें पिछले संस्करण के विपरीत कर्मचारियों के वेतन से पेंशन राशि काट ली गई थी.
काटकर ने कहा कि ओपीएस में कर्मचारियों को मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था, लेकिन नई योजना में यह राशि मूल वेतन का बमुश्किल 25 प्रतिशत है. चूंकि प्रथम और द्वितीय श्रेणी के कर्मचारी हड़ताल का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए विभिन्न विभागों के कामकाज पर मात्र आंशिक प्रभाव पड़ा है.
हालांकि, हड़ताल ने विभिन्न सरकारी स्कूलों, कॉलेजों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों, अस्पतालों में पैरामेडिक्स और नर्सो के साथ-साथ श्रेणी 3 और 4 कैडर के काम पर रोक लगा दी है. शहरी, ग्रामीण केंद्रों और जिलों के सरकारी कार्यालयों में कामकाज भी प्रभावित हुआ है, क्योंकि अधिकांश सिविल कर्मचारी भी ओपीएस के लिए आंदोलन में शामिल हो रहे हैं.
फिर भी, मुंबई जैसे कुछ प्रमुख शहरों में, जहां सिविल कर्मचारी हड़ताल से दूर हैं, प्रभाव कम होगा, हालांकि उन्होंने अपनी हड़ताली बिरादरी के साथ एकजुटता जताई है. मुख्य सचिव एमके श्रीवास्तव ने सोमवार को सभी संभागायुक्तों और कलेक्टरों को आम लोगों को किसी भी तरह की असुविधा न हो इसके लिए उचित उपाय करने के निर्देश दिए.
शिंदे ने कहा कि सरकार ओपीएस मांगों का अध्ययन करने के लिए शीर्ष अधिकारियों की एक प्रशासनिक समिति का गठन करेगी और वह एक निश्चित समय-सीमा के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी, लेकिन कर्मचारी संघों का जोर है कि इसे एक नीति के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए.
ओपीएस की मांग राज्य के बजट सत्र से पहले विरोध प्रदर्शनों, जुलूसों की एक श्रृंखला के साथ शुरू हुई, जो राज्यभर में चल रही है.
कम से कम आधा दर्जन राज्यों - राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और पंजाब ने पिछले महीने ओपीएस पर वापस लौटने की अपनी योजना की घोषणा के बाद इस कदम को गति दी.
राज्य सरकार की इस दलील का खंडन करते हुए कि इससे राज्य की पहले से ही तनावपूर्ण वित्तीय स्थिति पर असर पड़ेगा, काटकर और अन्य नेताओं ने कहा कि अगर यह अन्य राज्यों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित नहीं कर रहा है, तो यह महाराष्ट्र को कैसे प्रभावित कर सकता है. उन्होंने तक दिया कि चूंकि अधिकांश कर्मचारी अगले 10-12 वर्षो के बाद ही सेवानिवृत्त होंगे, इसलिए राज्य सरकार बिना किसी प्रतिकूल वित्तीय प्रभाव के व्यवस्थित रूप से ओपीएस कार्यान्वयन की योजना बना सकती है.