शाहीन बाग: दूसरे दिन भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार, बातचीत हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला
शाहीन बाग प्रदर्शन (Photo Credits-PTI)

नई दिल्ली. शाहीनबाग में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन प्रदर्शनकारियों से मुलाकात करने दूसरी बार पहुंचे. उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की, मगर कोई नतीजा नहीं निकला. दोनों वातार्कारों ने प्रदर्शनकारियों से साफ शब्दों में कहा, "हमें बातचीत से हल निकालना है, वरना सरकार कोई कड़ा कदम उठाएगी. दूसरे दिन की बैठक में कोशिश की गई कि लोगों को समझाया जाए, लेकिन पहले दिन की तरह ही प्रदर्शनकारियों ने वातार्कारों से फिर यही कहा कि सरकार नया कानून वापस ले ले, वे तुरंत हट जाएंगे.

साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों से कहा, "सोच-समझ कर हमें कुछ ठोस बातें करनी हैं. आपने सीएए को लेकर कई मुद्दे उठाए थे, आपकी बातें हमने समझी है, लेकिन आपको भी समझना होगा कि सीएए और एनआरसी का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है, आपके सारे सवाल सुप्रीम कोर्ट के सामने हैं. अभी हमें सुप्रीम कोर्ट ने आपसे बात करने को भेजा है, इस बंद सड़क को लेकर. उन्होंने आगे कहा, "आंदोलन करने का आपका हक बरकरार है। हमें मिलजुल कर कोई हल निकालना है, अगर हमारी बातचीत सफल नहीं होती तो हम वापस सुप्रीम कोर्ट चले जाएंगे, फिर सरकार को जो करना होगा, वो करेगी। हम नहीं मानते कि किसी समस्या का हल नहीं निकल सकता. यह भी पढ़े-शाहीन बाग: वार्ताकार संजय हेगड़े ने प्रदर्शनकारियों से कहा-जब तक सुप्रीम कोर्ट है, तब तक आपकी बात सुनी जाएगी

शाहीनबाग में 45वें दिन भी महिला प्रदर्शनकरियों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए सीएए और एनआरसी को लेकर अपनी बात रखी। साथ ही दोनों वार्ताकारों के सामने कहा कि इसे सिर्फ एक शाहीनबाग का आंदोलन न समझा जाए, बल्कि पूरे देश के आंदोलन की तरह देखा जाए. महिलाओं ने कहा, "हम अपने घर से दूर सड़क पर बैठने को मजबूर हो गए हैं. हम सिर्फ अपने हक के लिए यहां दो महीने से बैठे हैं. हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज उठा रहे हैं. लेकिन सरकार कानूनी तरीके से हमें हटाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, "जिन बच्चों ने जामिया में आवाज उठाई, उन्हें मारा गया। बच्चों के हाथ-पैर तोड़े गए. पुलिस ने लड़कियों पर भी लाठियों से कहर ढाया. ऐसा नहीं होना चाहिए था। हम तो अपने प्रधानमंत्री से सिर्फ यही कहेंगे कि वे या तो कानून में सबको दाखिल करें या सबको खारिज कर दें."

संजय हेगड़े ने भी प्रदर्शनकारियों को भी समझाते हुए कहा, "आप सोचिए, कोई हल निकालिए, ताकि आगे जहां कहीं भी आंदोलन हो तो वहां के लोग भी सोचें कि देखो, शाहीनबाग में कैसा हल निकला गया है. हम इस देश में साथ रह रहे हैं, किसी को परेशान करने के लिए नहीं रह रहे हैं और अदालत भी यही कह रही है कि प्रोटेस्ट वहां हो, जहां किसी को दिक्कत न हो.

उन्होंने आगे कहा, "आपको लगता है कि यहां से हट गए तो कोई सुनवाई नहीं करेगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट जब तक है, आपकी आवाज को कोई नहीं रोक सकता. हम इस उम्मीद से फिर यहां आए हैं कि आपकी सहमति से कुछ न कुछ हल निकलेगा."

वहीं साधना ने प्रदर्शन स्थल पर शोर-शराबे को देखते हुए प्रदर्शनकारियों से कहा, "खुले मंच से बातचीत नहीं हो सकती, अगर आपको बात करनी है तो 10-10 का ग्रुप बनाओ और अलग जगह पर हम लोग बात करेंगे और इसका हल निकलेंगे, वरना मैं कल तिबारा नहीं आऊंगी। ये मैं आप पर छोड़ रही हूं कि कैसे बात करनी है, लेकिन इस तरह बात नहीं हो सकती."

वकील साधना और संजय ने प्रदर्शनकारियों से कहा, "अब हम जा रहे हैं यहां की बंद सड़कों को देखने। आप में से 2 या 3 लोग आ जाइए हमारे साथ और हमें बताइए कि कहां-कहां का रास्ता बंद है और कौन-से रास्ते खोले जा सकते हैं."