Same-Sex Marriage: समलैंगिक विवाह मामले में आज की सुनवाई खत्म, मामले को समयबद्ध तरीके से निपटाना चाहता है SC
Same Sex Marriage, Supreme Court (Photo Credit: Live India)

नयी दिल्ली, 19 अप्रैल: समलैंगिक विवाहों (Same-Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने की मांग संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को इस मामले को समयबद्ध तरीके से खत्म करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि अन्य मामले भी हैं जिन्हें सुनवाई का इंतजार हैं.

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने उस वक्त यह टिप्प्णी की, जब याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी ने कहा कि वह संभवत: बृहस्पतिवार को भोजनावकाश तक का समय लेंगे. संविधान पीठ लगातार दूसरे दिन इस मामले की सुनवाई कर रही थी. HC On Rape: 6 साल की रेप पीड़िता से आरोपी का पूरा नाम याद रखने की उम्मीद नहीं की जा सकती: बॉम्बे हाई कोर्ट

इस पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस. आर. भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा भी शामिल हैं. दोपहर करीब 12 बजकर 45 मिनट पर अपनी दलीलें शुरू करने वाले सिंघवी ने पीठ से कहा कि वह दिन में थोड़ी देर से बहस शुरू कर रहे है और बृहस्पतिवार को दोपहर के भोजन से कुछ समय पहले या भोजनावकाश तक अपनी दलीलें समाप्त कर पाएंगे.

इस पर न्यायमूर्ति कौल ने कहा, “आपकी क्षमता इसे बिंदुवार रूप में रखने की है. मुझे लगता है कि आपको इसे बहुत पहले खत्म कर देना चाहिए.” सिंघवी ने कहा, ‘‘यह कुछ समय की बात है. मैं दोहरा नहीं रहा हूं. मैं आपके सामने वह पहलू रख रहा हूं, जो महत्वपूर्ण हैं.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘आज यह संभव नहीं है. काश, मैंने पहले शुरू किया होता.’’ न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि दुनिया में कहीं भी बहस इस तरह से आगे नहीं बढ़ती है, जहां इस तरह का “अनिश्चित समय” हो.

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि अदालतें उदार हैं. चाहे जो भी हो...सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा क्यों न हो, देश के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा क्यों न हो, लेकिन मुझे नहीं लगता कि समय सीमा का उल्लंघन होना चाहिए.”

न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि सिंघवी आज अपनी दलीलें पूरी करने में सक्षम होंगे.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “कभी-कभी आपको लगता है कि हमारे पास मामले को तय करने के लिए लंबा समय है, इसका मतलब यह नहीं होता कि (लंबा समय होने पर ही) आप बेहतर निर्धारण कर सकते हैं.”

न्यायमूर्ति कौल ने कहा, “मैं केवल यह कह रहा हूं कि ‘हम सभी’ को मामलों को समयबद्ध तरीके से खत्म करने की आदत डालनी होगी क्योंकि अन्य मामलों को भी सुनवाई का इंतजार है. इस ‘हम सभी’ में हम (बेंच) भी शामिल हैं.” इसके बाद सिंघवी ने अपनी दलीलें शुरू कीं, जो बृहस्पतिवार को भी जारी रहेंगी.

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्य को आगे आना चाहिए और समलैंगिक विवाह को मान्यता प्रदान करनी चाहिए. इससे पहले दिन में, केंद्र ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कार्यवाही में पक्षकार बनाया जाए, क्योंकि इस मुद्दे पर उनका (राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का) विचार प्राप्त किये बिना कोई भी निर्णय वर्तमान ‘प्रतिकूल प्रयास’ को अधूरा और तुच्छ कर देगा.

शीर्ष अदालत में दायर एक ताजा हलफनामे में, केंद्र ने कहा है कि उसने 18 अप्रैल को सभी राज्यों को एक पत्र जारी कर याचिकाओं में उठाये गये ‘मौलिक मुद्दे’ पर टिप्पणी और विचार आमंत्रित किये थे.

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