Russia Ukraine War: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- चुनौतियों के बावजूद हम 22,500 नागरिकों को वापस लेकर आए
विदेश मंत्री एस जयशंकर (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: विदेश मंत्री (External Affairs Minister) एस जयशंकर (S Jaishankar) ने मंगलवार को कहा कि रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच जारी संघर्ष से पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद सरकार ने युद्धग्रस्त देश से करीब 22,500 नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लौटे. छात्रों सहित भारतीय नागरिकों (Indian citizens) को निकालने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे कहा कि विदेश मंत्रालय के नियंत्रण कक्ष को 100 कर्मियों तक बढ़ा दिया गया था और यूक्रेन के पड़ोसी देशों के माध्यम से नागरिकों को वापस लाने के लिए रणनीति बनाई गई थी. Russia Ukraine War: यूक्रेन की स्थिति पर राज्यसभा को संबोधित करेंगे जयशंकर, राजनाथ सिंह

उन्होंने यह भी कहा कि विदेश मंत्रालय के नियंत्रण कक्ष को 13,000 से अधिक कॉल और 9,000 ई-मेल प्राप्त हुए, जबकि रूसी भाषी अधिकारियों को निकासी में सहायता के लिए यूक्रेन भेजा गया था.

"सदन के सदस्यों को उन राजनयिकों के काम की सराहना करनी चाहिए, जिन्होंने छात्रों और नागरिकों की सुविधा के लिए कर्तव्य निभाया. ऑपरेशन गंगा के तहत, 20 वायु सेना उड़ानों सहित 90 उड़ानें संचालित की गईं. 70 उड़ानें एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, विस्तारा, इंडिगो और अन्य जैसी निजी एयरलाइनों द्वारा संचालित की गईं."

उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना इस अवसर पर पहुंची और ऑपरेशन गंगा के तहत 20 उड़ानें संचालित कीं. विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से बात की और भारतीय नागरिकों के लिए समर्थन मांगा. उन्होंने कहा, "पीएम मोदी, विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला और मैं पोलैंड, स्लोवाकिया, रोमानिया और हंगरी के समकक्षों के संपर्क में थे."

प्रधानमंत्री ने रोज स्थिति की समीक्षा की और चार वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों को निकासी मिशन की निगरानी के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को रोमानिया और मोल्दोवा, किरेन रिजिजू को स्लोवाकिया, हरदीप सिंह पुरी को हंगरी और जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) से पोलैंड गये.

मंत्री ने यह भी कहा कि खारकीव और सूमी से भारतीय छात्रों की निकासी सबसे चुनौतीपूर्ण थी, क्योंकि छात्रों का गोलीबारी में फंसने की संभावना थी. उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेनी प्राधिकरण ने भारतीय छात्रों को सीमावर्ती देशों तक पहुंचने के लिए ट्रेन और बसें उपलब्ध कराईं और पासपोर्ट खोने वालों के लिए कम समय में यात्रा दस्तावेज भी उपलब्ध कराए.

निकासी प्रक्रिया के दौरान, पड़ोसी देशों में भारतीय नागरिकों, गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तिगत भारतीय व्यापारियों ने भारतीय छात्रों को उन देशों में रहने में मदद की.

पूरी अवधि के दौरान, भारतीय दूतावास के अधिकारी भोजन, आश्रय और दवाओं जैसी हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए भारतीयों और यूक्रेनी अधिकारियों के संपर्क में थे. इसके अलावा, मंत्री ने सदन को यह भी बताया कि बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों सहित निकासी कार्यों के दौरान 18 देशों के 147 नागरिकों को बाहर निकाला.

यूक्रेन संघर्ष के प्रमुख निहितार्थों का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि इसके प्रमुख आर्थिक निहितार्थ हैं; ऊर्जा और कमोडिटी की कीमतों पर इसका असर पहले से ही दिखाई दे रहा है. "वैश्विक आपूर्ति चेन में व्यवधान महत्वपूर्ण होने की उम्मीद है. भारत का रूस और यूक्रेन दोनों के साथ पर्याप्त व्यवहार है और सरकार द्वारा इस संबंध में मूल्यांकन चल रहा है."